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शांतिकुंज परिवार ने निकाली जनजागरण कांवड़ यात्रा


महाकाल शिव की विशेष पूजा अर्चना के लिए सावन का महीना उत्तम माना गया है। इसीलिए सावन में शिव के धाम यानि हरिद्वार में बड़ी संख्या में लोग हरिद्वार आते हैं। इन्हीं यात्रियों-कांवड़ियों को पतित पावनी मां गंगे को स्वच्छ एवं निर्मल बनाये रखने आदि के संदेश देने के उद्देश्य से शांतिकुंज परिवार ने आज जनजागरण यात्रा निकाली। वैदिक पूजन के पश्चात इस यात्रा का व्यवस्थापक महेन्द्र शर्मा एवं देव संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलपति शरद पारधी ने संयुक्त रूप से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार २५ मई। महाकाल शिव की विशेष पूजा अर्चना के लिए सावन का महीना उत्तम माना गया है। इसीलिए सावन में शिव के धाम यानि हरिद्वार में बड़ी संख्या में लोग हरिद्वार आते हैं। इन्हीं यात्रियों-कांवड़ियों को पतित पावनी मां गंगे को स्वच्छ एवं निर्मल बनाये रखने आदि के संदेश देने के उद्देश्य से शांतिकुंज परिवार ने आज जनजागरण यात्रा निकाली। वैदिक पूजन के पश्चात इस यात्रा का व्यवस्थापक महेन्द्र शर्मा एवं देव संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलपति शरद पारधी ने संयुक्त रूप से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यात्रा के विषय पर चर्चा करते हुए अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि गायत्री साधक शांति के साथ अपनी यात्रा पूरी की। यात्रा के दौरान मिलने वाले कांवड़ियों, यात्रियों एवं राहगीरों को पतित गंगा की निर्मलता एवं पवित्रता को ध्यान में रखते हुए अपवित्र वस्तुएँ से बचाये रखने के लिए सहयोग माँगा। साथ ही इस हेतु साहित्य, नशा उन्मूलन, वृक्ष गंगा अभियान, निर्मल गंगा जन अभियान क्या करें, क्या न करें जैसे संदेश परक पत्रक भी बाँटे गये। संस्था की अधिष्ठात्री श्रद्धेया शैलदीदी ने अखिल विश्व गायत्री परिवार द्वारा चलाये जा रहे निर्मल गंगा अभियान के अंतर्गत माँ गंगा को निर्मल एवं स्वच्छ बनाये रखने में कांवड़ियों सहित आमजन से भी अपील की। जनजागरण यात्रा के गेट तीन से निकली और भोपतवाला, हरकी पौड़ी होते हुए रानीपुर मोड़ पहुंची और उसके पश्चात देवसंस्कृति विश्वविद्यालय और हरिपुर कलाँ होते हुए वापस गायत्री तीर्थ लौट आयी। शांतिकुंज पहुंचने पर यात्रा का भव्य स्वागत किया गया। इस यात्रा में शांतिकुंज, देवसंस्कृति विवि, ब्रह्मवर्चस शोध संस्थान के अंतेवासी कार्यकर्त्ता, साधना शिविरों एवं विभिन्न प्रशिक्षण सत्रों में आये साधकों ने गले में साहित्य एवं हाथों में प्रेरक सद्वाक्य के बैनर-पोस्टर एवं पत्रक लिए भाग लिया।

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