गायतà¥à¤°à¥€ तीरà¥à¤¥ शांतिकà¥à¤‚ज में देश-विदेश से आये हजारों साधक आशà¥à¤µà¤¿à¤¨ नवरातà¥à¤° के अवसर पर गायतà¥à¤°à¥€ साधना में जà¥à¤Ÿà¥‡ है। इन साधकों की दिनचरà¥à¤¯à¤¾ में धà¥à¤¯à¤¾à¤¨, साधना, योग, हवन और सतà¥à¤¸à¤‚ग शामिल है, इनमें सà¤à¥€ साधकों को अनिवारà¥à¤¯ रूप से à¤à¤¾à¤—ीदारी करनी होती है। सतà¥à¤¸à¤‚ग की पवितà¥à¤° शृंखला को देवसंसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ के कà¥à¤²à¤¾à¤§à¤¿à¤ªà¤¤à¤¿ डॉ पà¥à¤°à¤£à¤µ पणà¥à¤¡à¥à¤¯à¤¾ नियमित रूप से संबोधित कर रहे हैं और साधकों के जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¤¾à¤“ं का समाधान à¤à¥€ सà¥à¤à¤¾à¤¤à¥‡ हैं।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
देसंविवि के सतà¥à¤¸à¤‚ग शृंखला के अवसर पर शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¥‡à¤¯ डॉ. पणà¥à¤¡à¥à¤¯à¤¾ ने कहा-मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन को चौराहे से गà¥à¤œà¤°à¤¨à¤¾ होता है हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° 30 सितंबर। गायतà¥à¤°à¥€ तीरà¥à¤¥ शांतिकà¥à¤‚ज में देश-विदेश से आये हजारों साधक आशà¥à¤µà¤¿à¤¨ नवरातà¥à¤° के अवसर पर गायतà¥à¤°à¥€ साधना में जà¥à¤Ÿà¥‡ है। इन साधकों की दिनचरà¥à¤¯à¤¾ में धà¥à¤¯à¤¾à¤¨, साधना, योग, हवन और सतà¥à¤¸à¤‚ग शामिल है, इनमें सà¤à¥€ साधकों को अनिवारà¥à¤¯ रूप से à¤à¤¾à¤—ीदारी करनी होती है। सतà¥à¤¸à¤‚ग की पवितà¥à¤° शृंखला को देवसंसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ के कà¥à¤²à¤¾à¤§à¤¿à¤ªà¤¤à¤¿ डॉ पà¥à¤°à¤£à¤µ पणà¥à¤¡à¥à¤¯à¤¾ नियमित रूप से संबोधित कर रहे हैं और साधकों के जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¤¾à¤“ं का समाधान à¤à¥€ सà¥à¤à¤¾à¤¤à¥‡ हैं। देवसंसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में सतà¥à¤¸à¤‚ग शृंखला के इस अवसर पर गीता मरà¥à¤®à¤œà¥à¤ž डॉ पà¥à¤°à¤£à¤µ पणà¥à¤¡à¥à¤¯à¤¾ ने कहा कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन को चौराहे से गà¥à¤œà¤°à¤¨à¤¾ होता है। जो उसे देवता, पितर, à¤à¥‚त और à¤à¤—वान की ओर ले जाने की चार दिशाà¤à¤ दिखाता है। गायतà¥à¤°à¥€ साधना साधक को à¤à¤—वान की ओर जाने के लिठपà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ करती है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ जैसा करà¥à¤® करेगा, उसी के अनà¥à¤°à¥‚प à¤à¤—वान उसे फल देता है। गायतà¥à¤°à¥€ साधना साधक के अंतशà¥à¤šà¥‡à¤¤à¤¨à¤¾ में, उसके मन, अंतःकरण, विचारों और à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं में सनà¥à¤®à¤¾à¤°à¥à¤— की ओर अगà¥à¤°à¤¸à¤° होने की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ à¤à¤°à¤¤à¥€ है। गायतà¥à¤°à¥€ साधना से मानसिक कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में सदà¥à¤—à¥à¤£à¥‹à¤‚ की वृदà¥à¤§à¤¿ होती है, दोष-दà¥à¤°à¥à¤—à¥à¤£ कम होने लगते हैं और सदà¥à¤—à¥à¤£ बà¥à¤¨à¥‡ लगते हैं। इस मानसिक कायाकलà¥à¤ª का परिणाम यह होता है कि दैनिक जीवन में आने वाले अनेक दà¥à¤ƒà¤–ों का सहज ही समाधान होने लगता है। अखिल विशà¥à¤µ गायतà¥à¤°à¥€ परिवार पà¥à¤°à¤®à¥à¤– डॉ. पणà¥à¤¡à¥à¤¯à¤¾ ने कहा कि आज की à¤à¤¾à¤—दौड़ à¤à¤°à¥€ जिनà¥à¤¦à¤—ी में मनà¥à¤·à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ सांसारिक हो गया है, इसलिठà¤à¤—वान उसे उसी अनà¥à¤°à¥‚प फल दे रहा है। जो निःसà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ à¤à¤¾à¤µ से मनोयोगपूरà¥à¤µà¤• तप साधना करता है उसे सांसारिक à¤à¤µ बंधन से à¤à¤—वान मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करता है। डॉ पणà¥à¤¡à¥à¤¯à¤¾ ने कहा कि लोग सांसारिक करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के बीच उलठकर रह गये हैं, इससे मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ पानी हो, तो तप, साधना और अनà¥à¤·à¥à¤ ान करना चाहिà¤à¥¤ कठोपनिषद में उलà¥à¤²à¥‡à¤–ित शà¥à¤²à¥‹à¤•à¥‹à¤‚ का वाचन करते हà¥à¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि पतन से उबरने के लिठतप, पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ à¤à¤µà¤‚ सतà¥à¤¸à¤‚ग का सहारा लेना चाहिà¤à¥¤