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स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने वृद्धों को अंगवस्त्र, माला भेंटकर और तिलक लगाकर किया सम्मान


अन्तर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने अंगवस्त्र, माला भेंटकर और तिलक लगाकर वृद्धजनों का सम्मान किया। परमार्थ निकेतन में विगत कई वर्षों से सीनियर केयर हेतु अनेक प्रोग्राम संचालित किये जा रहे हैं यथा नेत्र जांच, मोतियाबिंद जांच और आॅपरेशन, योग, सत्संग, आवास, भोजन और उम्र के इस पड़ाव में सकारात्मक बने रहने के लिये भी सेवा, साधना और आध्यात्मिकता का वातावरण प्रदान किया जाता है।

रिपोर्ट  - à¤‘ल न्यूज़ ब्यूरो

ऋषिकेश, 1 अक्तूबर। आज अन्तर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने अंगवस्त्र, माला भेंटकर और तिलक लगाकर वृद्धजनों का सम्मान किया। परमार्थ निकेतन में विगत कई वर्षों से सीनियर केयर हेतु अनेक प्रोग्राम संचालित किये जा रहे हैं यथा नेत्र जांच, मोतियाबिंद जांच और आॅपरेशन, योग, सत्संग, आवास, भोजन और उम्र के इस पड़ाव में सकारात्मक बने रहने के लिये भी सेवा, साधना और आध्यात्मिकता का वातावरण प्रदान किया जाता है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि वृद्धजनांे कोे पोषण, भोजन, कपड़ा, आवास, चिकित्सीय सहायता, उपचार, स्वास्थ्य देखभाल, सुरक्षा के साथ प्रेमयुक्त गरिमापूर्ण जीवन जीने हेतु सुविधायें प्रदान करना जरूरी है। स्वामी जी ने कहा कि वृद्धजन पूरी तरह से अपने परिवार पर निर्भर हो जाते हैं। कई बार उत्तम सुविधाओं तथा अच्छी देखभाल के बावजूद भी उनके जीवन में अकेलापन रहता है, जिससे तनाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। उम्र के इस पड़ाव में इंसान को अधिक देखभाल, प्यार और अपनों के साथ की आवश्यकता होती है, परन्तु वर्तमान की रोजगार व्यवस्था, पलायन, बदलती जीवन शैली, बदलती सामाजिक व्यवस्थाओं तथा अन्य कारणों से बुजुर्गों एवं युवाओं के मध्य खाई गहरी होती जा रही है। स्वामी जी ने कहा कि वृद्धजन न केवल परिवार के लिये बल्कि समुदाय और समाज के लिये भी जरूरी है क्योंकि उनके पास अपने जीवन का अद्भुत अनुभव होता हैं। वे समाज की अमूल्य धरोहर हैं उन्हें सुरक्षित वातावरण प्रदान करने और सहेजने के लिये सभी को मिलकर प्रयास करने की आवश्यकता है। भारत की जनसंख्या में वृद्ध जनों की हिस्सेदारी वर्ष 2011 में लगभग 9 प्रतिशत थी जो वर्ष 2036 तक 18 प्रतिशत तक पहुँचने की सम्भावना है इसलिये भारत को निकट भविष्य में वृद्ध जनों के लिये जीवन की अच्छी गुणवत्ता सुनिश्चित करना होगा तथा इसके लिये योजना निर्माण और उसका क्रियान्वन भी शुरू करना होगा।

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