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हे0न0ब0ग0वि0वि0 श्रींनगर में बाल स्वराज" विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया


हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में महिला अध्ययन केंद्र व राजनीति विज्ञान विभाग के संयुक्त तत्वाधान में बच्चों के अधिकारों के संदर्भ में बाल स्वराज" विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।

रिपोर्ट  - à¤…ंजना भट्ट घिल्डियाल

हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में महिला अध्ययन केंद्र व राजनीति विज्ञान विभाग के संयुक्त तत्वाधान में बच्चों के अधिकारों के संदर्भ में बाल स्वराज" विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। महात्मा गांधी के जन्म के 150 वें साल को मनाने की श्रृंखला में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि गढ़वाल विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति प्रोफेसर एस सी बागड़ी ने कहा कि इस दौर में गांधी के विचारों की बहुत आवश्यकता है। गांधी जी ने 100 साल पहले ही स्वरोजगार व छोटे उद्योगों के विषय में विचार दे दिए थे जिनकी बात आज की सरकारें भी कर रहे हैं। आज के समय की सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी की है। इस समस्या से गांधीजी के स्वरोजगार व छोटे उद्योगों के विचार पर चलने की आवश्यकता है। मुख्य वक्ता अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के टिहरी जनपद के जिला प्रभारी व बच्चों के अधिकारों के जानकार श्री प्रमोद पैन्यूली ने बच्चों के अधिकारों के वास्तविक व कानूनी पहलुओं पर प्रस्तुति दी। उन्होंने कहा कि समाज को बच्चों के जीवन, सुरक्षा , संरक्षण व व्यक्तित्व के विकास के लिए सभी अधिकार मिलने चाहिए। यह सरकार व समाज दोनों की जिम्मेदारी है। बच्चों के विकास के लिए बहुत से कानून बने हैं लेकिन उनका क्रियान्वयन बेहतर तरीके से नहीं हो रहा है । इसलिए बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य व सुरक्षा के मामले में हम बहुत खराब स्थिति में पहुंच गए हैं। भारत में किशोरों के न्याय के लिए कानून बना है जो कि सजा के लिए नहीं अपितु सुधार व संरक्षण पर ज्यादा जोर देता है। मुख्य वक्ता राजनीति विज्ञान विभाग के वरिष्ठ प्राचार्य प्रोफेसर आर एन गैरोला ने भारतीय संविधान में बच्चों के लिए किए गए प्रावधानों के विषय में जानकारी दी और इसके साथ ही कहा कि इन कानूनों व संरक्षण के बाद भी बच्चे सुरक्षित नहीं है। भ्रूण हत्या, अशिक्षा, कुपोषण अभी भी समस्या बने हुए हैं। इतने वैधानिक व संवैधानिक प्रावधानों के बावजूद भी बच्चों का संरक्षण नहीं हो पा रहा है इसके लिए आवश्यक है कि लोगों में सहयोग की भावना का विकास किया जाए। आपसी सहमति से बाल संरक्षण और बाल अधिकारों की रक्षा के लिए कार्य करने वाली संस्थाओं का निर्माण किया जाना चाहिए। मुख्य वक्ता शिक्षा विभाग की प्रोफेसर सीमा धवन ने महात्मा गांधी के उत्पादन आधारित शिक्षा "नई तालीम" विषय पर अपना वक्तव्य रखा। यह शिक्षा बच्चों को न केवल अपने परिवेश से परिचित करवाती है बल्कि इसके साथ ही आजीविका का ज्ञान भी छात्रों को देती है। गाँधी जी नई तालीम में दी जाने वाली शिक्षा उनकी अपनी भाषा में करने के पक्षधर थे ताकि बच्चे जल्दी व आसानी से शिक्षा ग्रहण कर पाए। यह नई तालीम पूर्ण रूप से अनुभव आधारित शिक्षा है। जिसमें गुरु व शिक्षकों का आपसी रिश्ता सम्मान व इज्जत का होता है। मानविकी व समाज कार्य संकाय के संकाय अध्यक्ष प्रोफेसर सी एस सूद ने कहा कि गांधी जी के जीवन से बाल स्वराज की प्रेरणा मिलती है। लेकिन आज एक तिहाई से ज्यादा बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। बाल श्रम निषेध के बावजूद भी कई बच्चों से उनके बचपन का अधिकार छीना जा रहा है। अगर बेहतर देश बनाना है तो हमें बच्चों के संरक्षण के लिए कठोर कदम उठाने होंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे गढ़वाल विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रोफेसर पीएस राणा ने कहा कि बच्चों के लिए बहुत से कानून बने हैं लेकिन जागरूकता की कमी के कारण कोई इनका उपयोग नहीं कर पा रहा है। इसलिए आवश्यकता है कि बाल अधिकारों के लिए लोगों को जागरूक किया जा सके। कार्यक्रम की संयोजिका प्रोफेसर हिमांशु बौड़ाई ने कहा कि गांधी जी ने बच्चों के सबसे महत्वपूर्ण अधिकार स्वास्थ्य की बात की है। गांधीजी ने कहा था कि एक बच्चे को स्वस्थ पैदा होने का अधिकार है। गांधीजी ने कर्तव्यों की बात अधिक की है लेकिन उनके समाज की कल्पना में बच्चे बूढ़े व महिलाओं सहित समाज के हर तबके के लिए न्याय व बराबरी मौजूद थी। राजनीति विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर एमएम सेमवाल ने कहा कि बच्चे हमारे राष्ट्र की महत्वपूर्ण पूंजी ही नहीं बल्कि संपत्ति है इसलिए बच्चों के लिए बेहतर परिवेश बनाने की जिम्मेदारी सरकार व समाज दोनों की है। इस कार्यक्रम का संचालन शोध छात्रा शिवानी पांडेय ने किया । इस कार्यक्रम में डॉ प्रदीप अंथवाल, राजेन्द्र प्रसाद, छात्रसंघ सदस्य अंकित उछोली, अतुल सती, डॉ मनीष मिश्रा, डॉ गिरीश भट्ट, डॉ हेमलता वर्मा, शोधछात्र व स्नातक, स्नातकोत्तर के छात्र छात्रायें मौजूद रहे।

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