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मनुष्य का दूसरा जन्म सद्गुरु की कृपा से: श्रद्धेया शैलदीदी


वासंती उल्लास के साथ अश्वमेध महायज्ञ के तीसरे दिन की आरंभ एक लाख से अधिक लोगों को गायत्री महामंत्र पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सद्गुरु की कृपा से मनुष्य का दूसरा जन्म होता है, तो वहीं संस्कार मंच में शांतिकंुज से प्रकाण्ड विद्वानोें ने विभिन्न संस्कार वैदिक रीति से निःशुल्क सम्पन्न कराये।

रिपोर्ट  - आल न्यूज़ भारत

मंुबई, 23 फरवरी। गायत्री परिवार की अधिष्ठात्री श्रद्धेया शैलदीदी ने शुक्रवार को मुंबई महानगर के खारघर का कार्पोरेट पार्क ग्राउण्ड मंें हजारों को गायत्री महामंत्र से दीक्षित किया। वासंती उल्लास के साथ अश्वमेध महायज्ञ के तीसरे दिन की आरंभ एक लाख से अधिक लोगों को गायत्री महामंत्र पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सद्गुरु की कृपा से मनुष्य का दूसरा जन्म होता है, तो वहीं संस्कार मंच में शांतिकंुज से प्रकाण्ड विद्वानोें ने विभिन्न संस्कार वैदिक रीति से निःशुल्क सम्पन्न कराये। बुधवार, 21 फरवरी से प्रारंभ हुए अश्वमेध महायज्ञ के तीसरे दिन की शुरुआत वेद के विशिष्ट मंत्र के गान से हुआ। शांतिकंुज, हरिद्वार के आचार्यों एवं ब्रह्मवादिनी बहिनों की टोली ने 1008 कुण्डीय यज्ञशाला का संचालन हुआ। कई चरणों में देश के नामचीन हस्तियों के अलावा लाखों लोगों ने राष्ट्र के कुण्डलिनी जागरण, मानव मात्र के उत्थान, पर्यावरण संरक्षण, व्यसन मुक्त भारत हो, इस भावना से आहुतियां डाली, तो वही सीमा की रक्षा करते हुए अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीर शहीदों की आत्मा की शांति एवं सद्गति हेतु विशिष्ट वैदिक मंत्र से प्रार्थना की गयी। अश्वमेध यज्ञ से उत्पन्न ऊर्जा को सकारात्मक नियोजन में लगाने के लिए मौन तांत्रिक आहुतियां भी दी गई। रिलायंस ग्रुप के वरिष्ठ पदाधिकारी, गायक समीर सहित अनेक गणमान्य नागरिकों ने आहुतियां डाली। इस अवसर पर युवा आइकॉन आदरणीय डॉ चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि महाराष्ट्र की धरती से राष्ट्र की कुण्डलिनी जागरण तथा राष्ट्र को संगठित करने में इस अश्वमेध महायज्ञ की विशेष महत्व है। जो अश्वमेध यज्ञ करते है, उनकी सभी कामनाएं पूर्ण होती है। उन्होंने कहा कि यज्ञ करने से संपूर्ण प्राणी की उत्पत्ति अन्न से होती है, और अन्न की उत्पत्ति वृष्टि होती है और वृष्टि यज्ञ से होती है। वहीं देवात्मा हिमालय के मॉडल में हजारों लोगों ने गायत्री महामंत्र की साधना कर राष्ट्र के विकास की कामना की। प्रदर्शनी में भावी पीढी को संवारने के विविध आयाम की प्रस्तुति ने सभी को आकर्षित किया। अश्वमेध महायज्ञ से ऑनलाइन करीब पचास देशों के करोड़ों गायत्री परिवार के साथ जुड़े और इस ऐतिहासिक महानुष्ठान में भाग लिया।

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