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बच्चे भगवान का रूप होते हैं और इनकी सेवा भगवान की सेवा के बराबर है।


जनजागरूकता के एक कार्यक्रम के माध्यम से एम्स ऋषिकेश के डाॅक्टरों ने ऐसे ही कुछ बच्चों के साथ न केवल अपनी मुस्कुराहट बांटी अपितु उन्हें खेल-खिलौने देकर पुरस्कृत भी किया। ये सभी वो बच्चे हैं जिन्हें जन्मजात दिल की बीमारियां थीं और एम्स के सीटीवीएस विभाग में इलाज होने के बाद अब वह खुशनुमा स्वस्थ जीवन बिता रहे हैं।

रिपोर्ट  - अंजना भट्ट घिल्डियाल

एम्स ऋषिकेश, कहावत है कि बच्चे भगवान का रूप होते हैं और इनकी सेवा भगवान की सेवा के बराबर है। जनजागरूकता के एक कार्यक्रम के माध्यम से एम्स ऋषिकेश के डाॅक्टरों ने ऐसे ही कुछ बच्चों के साथ न केवल अपनी मुस्कुराहट बांटी अपितु उन्हें खेल-खिलौने देकर पुरस्कृत भी किया। ये सभी वो बच्चे हैं जिन्हें जन्मजात दिल की बीमारियां थीं और एम्स के सीटीवीएस विभाग में इलाज होने के बाद अब वह खुशनुमा स्वस्थ जीवन बिता रहे हैं। एम्स में हृदय, छाती एवं रक्त वाहिनी शल्य चिकित्सा विभाग (सी.टी.वी.एस) के अधीन जन्मजात दिल की बीमारियों से ग्रसित छोटे बच्चों का इलाज भी किया जाता है। ठीक होने के बाद अपने परिवार के साथ खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे ऐसे बच्चों को सीटीवीएस विभाग द्वारा एक कार्यक्रम के तहत सम्मानित किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह ने कहा कि अभिभावकों को चाहिए कि वो जन्मजात दिल की बीमारियों से ग्रसित बच्चों को बोझ न समझें। बच्चे भगवान का रूप होते हैं। जन्मजात बीमारियों का यदि समय रहते इलाज करवा दिया जाय तो आगे चलकर ऐसे बच्चे भी खुशहाल जीवन जी सकते हैं। उन्होंने कहा कि दिल की जन्मजात बीमारियों वाले बच्चों का एम्स ऋषिकेश में सम्पूर्ण इलाज उपलब्ध है। यह इलाज सरकार की योजना के तहत निःशुल्क किया जाता है।

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