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आज के दिन 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान से पूर्वी पाकिस्तान को अलग करते हुए एक नए राष्ट्र 'बांग्लादेश' का जन्म हुआ


हेमवती नंदन गढ़वाल विश्वविद्यालय के जम्मू-कश्मीर अध्ययन केंद्र के तत्वावधान में 16 दिसंबर को 'बांग्लादेश मुक्ति दिवस ' के रूप में तथा भारतीय सेना के अदम्य साहस को याद करते हुए एक दिवसीय परिचर्चा का आयोजन किया गया ।

रिपोर्ट  - à¤…ंजना भट्ट घिल्डियाल

हेमवती नंदन गढ़वाल विश्वविद्यालय के जम्मू-कश्मीर अध्ययन केंद्र के तत्वावधान में 16 दिसंबर को 'बांग्लादेश मुक्ति दिवस ' के रूप में तथा भारतीय सेना के अदम्य साहस को याद करते हुए एक दिवसीय परिचर्चा का आयोजन किया गया । गौरतलब है कि इस दिन 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान से पूर्वी पाकिस्तान को अलग करते हुए एक नए राष्ट्र 'बांग्लादेश' का जन्म हुआ जिसमें तत्कालीन भारतीय नेतृत्व तथा भारतीय सेनाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी यही कारण है कि भारत में भी प्रतिवर्ष इस दिन को मनाया जाता है । जिसने क्षेत्रीय आधार पर कूटनीतिक ,राजनीतिक तथा सैन्य मोर्चे पर ना सिर्फ भारत को एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में स्थापित किया बल्कि उसे वैश्विक रूप से भी एक मजबूत देश की तरह स्थापित कर दिया । कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए राजनीति विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर एम.एम. सेमवाल ने 16 दिसंबर के दिन को भारत के इतिहास का सबसे शौर्य का दिन कहा क्योंकि इसी दिन 1971 में ढाका में भारतीय सेना के शौर्य और पराक्रम के आगे पाकिस्तानी सेना के 93000 अधिकारियों और सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया और बांग्लादेश को आज़ादी मिली। यह विजय दिवस भारत के हर वीर सैनिक को समर्पित है जिनके अदम्य साहस और समर्पण से हम सब सुरक्षित और गौरवान्वित महसूस करते हैं । भारत की सेना ने तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में वहां की आम जनता के नागरिक अधिकारों का सम्मान करते हुए और उनके मानवीय को संरक्षण देने के लिए बांग्लादेश की 'मुक्ति वाहिनी' के साथ पाकिस्तान के साथ युद्ध किया और पाकिस्तानी क्रूर फौज के चंगुल से उन्हें छुड़ा कर एक नए स्वतंत्र देश की सत्ता सौंप दी थी।उन्होंने तत्कालीन परिस्थितियों के बारे में बताते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी जी की कूटनीतिक सोच को भी याद किया और यह बताएं कि किस प्रकार शीत युद्ध के उस दौर में श्रीमती इंदिरा गांधी ने अगस्त 1971 में सोवियत संघ के साथ भारत- सोवियत शांति, मैत्री और सहयोग संधि पर हस्ताक्षर किए क्योंकि पाकिस्तान को अमेरिका का समर्थन प्राप्त था। साथ ही पाकिस्तान की सेना द्वारा बांग्लादेश( तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान) में वहां की जनता के नरसंहार के लिए चलाए गए ऑपरेशन सर्चलाइट का भी वर्णन किया और यह बताया कि किस प्रकार पाकिस्तान की सेना ने बांग्लादेश में लगभग 3 से 5 लाख लोगों को मार डाला और लगभग चार लाख बंगाली महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया।

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