सनातन संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ अपने पवितà¥à¤° तीरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ और इन तोरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ की सामासिक संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के कारण अनादि काल से पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ रही है। समसà¥à¤¤ विशà¥à¤µ ने इस संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की पà¥à¤°à¤®à¥à¤– विशेषताओं अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ तन-मन की पवितà¥à¤°à¤¤à¤¾ और इसकी अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤¦à¥ƒà¤·à¥à¤Ÿà¤¿ को खà¥à¤²à¥‡ मन से सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° किया है। हमारे ये सà¤à¥€ पवितà¥à¤° तीरà¥à¤¥ नदियों के किनारे बसे हैं। हमारी संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ नदियों को जीवन-रेखायें मानती है। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ माता के समान पूजनीय मानती है।
रिपोर्ट - उमा घिलà¥à¤¡à¤¿à¤¯à¤¾à¤² शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र गढ़वाल
जनà¥à¤® से लेकर मृतà¥à¤¯à¥ तक जीवन à¤à¤• यातà¥à¤°à¤¾ है। दिनों महीनों,वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ ,विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पà¥à¤°à¤¸à¤‚गों, सनà¥à¤¦à¤°à¥à¤à¥‹à¤‚ , सà¥à¤–-दà¥à¤ƒà¤– , हार-जीत, आशा-निराशा की यातà¥à¤°à¤¾à¥¤ मिलने और बिछà¥à¤¡à¤¼à¤¨à¥‡ की यातà¥à¤°à¤¾à¥¤ कà¥à¤› पाने और खोने की यातà¥à¤°à¤¾à¥¤ à¤à¤• धà¥à¤‚ध से दूसरी धà¥à¤‚ध तक पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ की यातà¥à¤°à¤¾à¥¤ इस यातà¥à¤°à¤¾ के मधà¥à¤¯ à¤à¥€ कई पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की यातà¥à¤°à¤¾à¤à¤ चलती हैं। जिसमें आतà¥à¤®à¤¾ की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ और पवितà¥à¤°à¤¤à¤¾ के लिये की गई यातà¥à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤®à¥à¤– है। इस यातà¥à¤°à¤¾ को हमारी संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤•à¥‹à¤‚ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ ऋषियों-मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने तीरà¥à¤¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤°à¤¾ का नाम दिया है। अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ पवितà¥à¤° तीरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ की यातà¥à¤°à¤¾ ही तीरà¥à¤¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤°à¤¾ है, जो हमें जनà¥à¤®-मृतà¥à¤¯à¥ से मà¥à¤•à¥à¤¤ कर देती है। सनातन संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ अपने पवितà¥à¤° तीरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ और इन तोरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ की सामासिक संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के कारण अनादि काल से पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ रही है। समसà¥à¤¤ विशà¥à¤µ ने इस संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की पà¥à¤°à¤®à¥à¤– विशेषताओं अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ तन-मन की पवितà¥à¤°à¤¤à¤¾ और इसकी अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤¦à¥ƒà¤·à¥à¤Ÿà¤¿ को खà¥à¤²à¥‡ मन से सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° किया है। हमारे ये सà¤à¥€ पवितà¥à¤° तीरà¥à¤¥ नदियों के किनारे बसे हैं। हमारी संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ नदियों को जीवन-रेखायें मानती है। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ माता के समान पूजनीय मानती है। पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒà¤•à¤¾à¤² नदियों को सà¥à¤®à¤°à¤£ करना हमारी दिनचरà¥à¤¯à¤¾ का पà¥à¤°à¤®à¥à¤– अंग है।"गंगे च यमà¥à¤¨à¥‡ चैव -------" शà¥à¤²à¥‹à¤• पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• हिनà¥à¤¦à¥‚ की जिहà¥à¤µà¤¾ पर रहता है। à¤à¤¾à¤°à¤¤ की ही नहीं वरनॠसंसार की नदियों में à¤à¥€ गंगा नदी को परम पवितà¥à¤° और मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¦à¤¾à¤¯à¤¨à¥€ माना जाता है। यह à¤à¤•à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° à¤à¤¸à¥€ नदी है,जिसके लिये राजा सगर की कई पीढ़ियों ने तपसà¥à¤¯à¤¾ की और हजारों वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ की तपसà¥à¤¯à¤¾ के बाद गंगा धरतो पर आईं।इनके पà¥à¤°à¤¬à¤² वेग को नियनà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¤ करने के लिये सà¥à¤µà¤¯à¤‚ शिव à¤à¤—वान ने इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपने मसà¥à¤¤à¤• पर सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ दिया। गोमà¥à¤– से लेकर गंगासागर तक सनातनी संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के हजारों तीरà¥à¤¥ इस नदी के किनारे बसे हैं। गंगा सà¥à¤µà¤¯à¤‚ à¤à¤• तीरà¥à¤¥ है। à¤à¤¾à¤°à¤¤ की कà¥à¤² आबादी की लगà¤à¤— 30 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ जनता इस नदी के किनारे निवास करती है। परनà¥à¤¤à¥ महाशोक है कि à¤à¥‹à¤—वादी परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ ने तीरà¥à¤¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤°à¤¾ की मूल अवधारणा को नषà¥à¤Ÿ कर दिया है। तीरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ में होटल संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ पनप रही है।हमने तीरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ को à¤à¥‹à¤—-विलास का अडà¥à¤¡à¤¾ बना दिया है। उनकी सà¥à¤µà¤šà¥à¤›à¤¤à¤¾ और पवितà¥à¤°à¤¤à¤¾ नषà¥à¤Ÿ कर दी है। अब तीरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ में जो संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ पनप रही है उसे महाविकृति का ही नाम दिया जा सकता है। उस पर कोढ़ में खाज की à¤à¤¾à¤à¤¤à¤¿ नदियों की अविरलता को बाà¤à¤§à¥‹à¤‚ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बाधित किया जा रहा है।आज à¤à¤¾à¤°à¤¤ की कोई à¤à¥€ नदी à¤à¤¸à¥€ नहीं है,जिसे पर बाà¤à¤§ न बने हों ,परनà¥à¤¤à¥ गंगा नदी की दà¥à¤°à¥à¤¦à¤¶à¤¾ सबसे अधिक हà¥à¤ˆ है। इस नदी पर वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में सैकड़ों बाà¤à¤§ बने हà¥à¤¯à¥‡ हैं। नदी निरनà¥à¤¤à¤° मर रही है ,विकास के नाम पर सबसे अधिक विनाश इसी का हà¥à¤† है। विशà¥à¤µ में हमारी पहचान हमारी संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के कारण है।यह संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ गंगा जैसी नदियों के किनारे ही पनपी है। डा0 शंकर काला के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ और संचालित ' विपरो ' (विनाशकारी परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ रोको) संसà¥à¤¥à¤¾ गाà¤à¤§à¥€à¤¯à¤¨ परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ को बढ़ावा देकर संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ बचाओ की दिशा में बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¤¾ कारà¥à¤¯ कर रही है। गंगा की अविरलता को लेकर हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ मातृसदन के संत शिवाननà¥à¤¦à¤œà¥€ और उनके बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¥€à¤—ण निरनà¥à¤¤à¤° उपवास रूपी तपसà¥à¤¯à¤¾ कर रहे हैं। संत निगमानंद, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ साननà¥à¤¦, पदà¥à¤®à¤¾à¤µà¤¤à¥€ आदि संत निरनà¥à¤¤à¤° गंगा की रकà¥à¤·à¤¾ के लिये उपवास रूपी तपसà¥à¤¯à¤¾ कर रहे।कà¥à¤² मिला कर मातृसदन सात वरà¥à¤· से अधिक समय का उपवास कर चà¥à¤•à¤¾ है। इस तपसà¥à¤¯à¤¾ में निगमानंद जी और साननà¥à¤¦ जी अपने पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ की आहà¥à¤¤à¤¿ दे चà¥à¤•à¥‡ हैं। आतà¥à¤®à¤¬à¥‹à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦à¤œà¥€ और पदà¥à¤®à¤¾à¤µà¤¤à¥€à¤œà¥€ कà¥à¤°à¤®à¤¶à¤ƒ à¤à¤• सो चौरानवें और तीन महीने से अधिक की तपसà¥à¤¯à¤¾ कर चà¥à¤•à¥‡ हैं। वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में आतà¥à¤®à¤¬à¥‹à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦à¤œà¥€ पà¥à¤¨à¤ƒ उपवास रूपी अनशन पर हैं। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ लगà¤à¤— चालीस दिन होने वाले हैं। वे तो अपना करà¥à¤¤à¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ निà¤à¤¾ रहे हैं,परनà¥à¤¤à¥ हम अपना करà¥à¤¤à¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ कब समà¤à¥‡à¤‚गे ,यह अवशà¥à¤¯ विचारणीय विषय है। इतना तो अवशà¥à¤¯ ही समà¤à¤¨à¤¾ होगा कि गंगा है तो हम है, गंगा यदि नहीं होगी तो-----?