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गंगा की अविरलता के लिए 42 दिन से तपस्या पर बैठे ब्रह्मचारी आत्मबोधानन्द ने शहद भी त्यागने का निर्णय लिया


उन्होंने कहा कि तपस्या के इतने दिनों के बाद भी सरकार का रवैया बिल्कुल नाकारात्मक रहा है। हरिद्वार के जिलाधिकारी व वरिष्ठ पुलिस अधिक्षक अभी तक एक बार भी मिलने नहीं पहुंचे।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार में तपस्या के ४२वें दिन ब्रह्मचारी आत्मबोधानन्द ने शहद भी त्यागने का निर्णय लिया है। अब वह केवल नींबू पानी और नमक लेते रहेंगे। उन्होंने कहा कि तपस्या के इतने दिनों के बाद भी सरकार का रवैया बिल्कुल नाकारात्मक रहा है। हरिद्वार के जिलाधिकारी व वरिष्ठ पुलिस अधिक्षक अभी तक एक बार भी मिलने नहीं पहुंचे। आत्मबोधानन्द जी ने कहा कि गंगा के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने वाले स्वामी निगमानन्द जी की हत्या के जांच के आदेश CBI कोर्ट ने 9 सितम्बर, 2015 देने के बावज़ूद CBI ने मामले में आगे जांच नहीं की। CBI को किसने अधिकार दिया कि वह कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करे? 2018 में स्वामी सानंद जी की हत्या की जांच भी सरकार ने नहीं होने दी। इन्हीं कारणों की वजह से पद्मावती जी के साथ 2020 में जो कुछ भी हुआ, वह सरकार की निगरानी में सरकार द्वारा ही करवाया गया। अगर निगमानन्द जी और सानंद जी के दोषीयों को सज़ा मिल गयी होती तो पद्मावती जी की ये हालत नहीं होती। इन सभी लोगों को सरकार द्वारा जबरन आश्रम में 144 धारा लगाकर उठवाया गया, जो सरासर गैर कानूनी है। खनन विरोधी जितने भी आदेश केंद्र सरकार द्वारा जारी किये गये, राज्य एवं जिला प्रशासन ने खुलेआम समय समय पर उसका उल्लंघन किया। मातृ सदन द्वारा सरकार के इस रवैये के खिलाफ जितने भी मुकदमें दर्ज़ करवाये गये, उनपर कभी कोई सुनवायी नहीं हुई। इनकी जांच की मांग हमारा संवैधानिक अधिकार है। सरकार अपने द्वारा दिये गये आश्वासनों का पालन करे, बस हमारी इतनी ही मांग है। जब सरकार वादाखिलाफी करती है, तब माफियाओं का मनोबल इतना बढ़ जाता है कि वह समाज के ईमानदार लोगों के खिलाफ साजिश कर उन्हें जेल भेजवा देते हैं, और जिला न्यायालय के कुछ जज उन माफियाओं का साथ देती है। हम केवल न्याय की मांग कर रहे हैं। सरकार और न्यायपालिका इस तरह हाथ पर हाथ धरे बैठे नहीं रह सकते। इसलिए सरकार जबतक हमारी मांगें नहीं मानती, तबतक यह तपस्या जारी रहेगी।

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