नजला या जà¥à¤•à¤¾à¤® à¤à¤¸à¤¾ रोग है जो किसी à¤à¥€ दिन किसी à¤à¥€ सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ या पà¥à¤°à¥à¤· को हो सकता है| यह रोग वैसे तो ऋतà¥à¤“ं के आने-जाने के समय होता है लेकिन वरà¥à¤·à¤¾, जाड़े और दो ऋतà¥à¤“ं के बीच के दिनों में जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° होता है|
रिपोर्ट - वैध दीपक कà¥à¤®à¤¾à¤°
“नजला (जà¥à¤•à¤¾à¤®) के 22 घरेलॠउपचार†दूषित वातावरण धूल-धà¥à¤à¤‚ के फैलने वाले सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ तथा बरà¥à¤«à¥€à¤²à¥‡ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ में यह रोग बगैर किसी शिकायत के à¤à¥€ हो जाता है| गले के अनà¥à¤¯ रोग, नाक की बीमारियां, वायॠपà¥à¤°à¤•à¥‹à¤ª तथा कà¥à¤·à¤¯ आदि इस रोग की मदद करते हैं| फलत: यह रोग तेजी से फैलता है|  नजला (जà¥à¤•à¤¾à¤®) के 22 घरेलॠनà¥à¤¸à¥à¤–े इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° हैं: 1. अदरक और देशी घी अदरक के छोटे-छोटे टà¥à¤•à¤¡à¤¼à¥‹à¤‚ को देशी घी में à¤à¥‚न लें| फिर उसे दिन में चार-पांच बार कà¥à¤šà¤²à¤•à¤° खा जाà¤à¤‚| इससे जà¥à¤•à¤¾à¤® बह जाà¤à¤—ा और रोगी को शानà¥à¤¤à¤¿ मिलेगी| 2. हलà¥à¤¦à¥€, अजवायन, पानी और गà¥à¤¡à¤¼ 10 गà¥à¤°à¤¾à¤® हलà¥à¤¦à¥€Â का चूरà¥à¤£ और 10 गà¥à¤°à¤¾à¤® अजवायन को à¤à¤• कप पानी में आंच पर पकाà¤à¤‚| जब पानी जलकर आधा रह जाठतो उसमें जरा-सा गà¥à¤¡à¤¼ मिला लें| इसे छानकर दिन में तीन बार पिà¤à¤‚| दो दिन में जà¥à¤•à¤¾à¤® छूमंतर हो जाà¤à¤—ा| 3. लहसà¥à¤¨, शहद और कलौंजी लहसà¥à¤¨Â की दो पूतियों को आग में à¤à¥‚नकर पीस लें| फिर चूरà¥à¤£ को शहद के साथ चाटें| कलौंजी का चूरà¥à¤£ बनाकर पोटली में बांध लें| फिर इसे बार-बार सूंघें| नाक से पानी आना रà¥à¤• जाà¤à¤—ा| 4. जायफल और पानी जायफल को पानी में घिसकर चंदन की तरह माथे और नाक पर लगाà¤à¤‚| 5. तà¥à¤²à¤¸à¥€, लौंग, अदरक, सोंठ, गà¥à¤¡à¤¼, चीनी और कालीमिरà¥à¤š तà¥à¤²à¤¸à¥€Â की पांच पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚, दो लौंग, à¤à¤• छोटी गांठअदरक या सोंठतथा चार कालीमिरà¥à¤š सबको मोटा पीसकर à¤à¤• कप पानी में आग पर चढ़ा दें| जब पानी जलकर आधा रह जाठतो छानकर उसमें जरा-सा गà¥à¤¡à¤¼ या चीनी डालकर गरम-गरम पी जाà¤à¤‚| 6. गोमूतà¥à¤° दोंनो नथà¥à¤¨à¥‹à¤‚ में गोमूतà¥à¤° (ताजा) की दो-दो बूंदें सà¥à¤¬à¤¹-शाम टपकाà¤à¤‚| 7. सोंठà¤à¤• चमà¥à¤®à¤š पिसी सोंठ की फंकी लगाकर ऊपर से गà¥à¤¨à¤—à¥à¤¨à¤¾ पानी पी लें| 8. मà¥à¤¨à¤•à¥à¤•à¤¾ पांच मà¥à¤¨à¤•à¥à¤•à¥‡ à¤à¤• कप पानी में उबालें| जब पानी आधा रह जाठतो मà¥à¤¨à¤•à¥à¤•à¥‡ निकालकर चबा जाà¤à¤‚| फिर घूंट-घूंट पानी पी लें| जà¥à¤•à¤¾à¤® à¤à¤¾à¤— जाà¤à¤—ा| 9. अदरक और शहद à¤à¤• चमà¥à¤®à¤š अदरक के रस में आधा चमच शहद मिलाकर चाट लें| 10. दालचीनी और जायफल दालचीनी तथा जायफल – दोंनो à¤à¤• चमà¥à¤®à¤š की मातà¥à¤°à¤¾ में चूरà¥à¤£ के रूप में लेने से जà¥à¤•à¤¾à¤® फूरà¥à¤° हो जाता है| 11. अमरूद पके हà¥à¤ अमरूद को उपलों में à¤à¥‚नकर खाà¤à¤‚| 12. मूली और शहद मूली के बीजों का चूरà¥à¤£ आधा चमà¥à¤®à¤š शहद के साथ चाटें| 13. तà¥à¤²à¤¸à¥€Â और कालीमिरà¥à¤š तà¥à¤²à¤¸à¥€Â के आठपतà¥à¤¤à¥‡ और चार कालीमिरà¥à¤šÂ – दोनों की चटनी बनाकर गà¥à¤¡à¤¼ के साथ खाà¤à¤‚| 14. अनार और गà¥à¤¡à¤¼ अनार के पतà¥à¤¤à¥‹à¤‚ को पीस लें| फिर उसमें थोड़ा-सा गà¥à¤¡à¤¼ मिलाकर 5 गà¥à¤°à¤¾à¤® की मातà¥à¤°à¤¾ में खाà¤à¤‚| 15. चिरायता, सोंठ, अड़ूसा और कटेरी ,चिरायता, सोंठ, अड़ूसे की जड़ तथा कटेरी की जड़ – सब 5-5 गà¥à¤°à¤¾à¤® लेकर काढ़ा बनाकर पिà¤à¤‚| 16. गाय दूध, हलà¥à¤¦à¥€Â और चीनी à¤à¤• कप गाय के दूध में à¤à¤• चमà¥à¤®à¤š पिसी हà¥à¤ˆ हलà¥à¤¦à¥€Â तथा थोड़ी-सी चीनी मिलाकर पि जाà¤à¤‚| 17. सरसों नाक के बाहर तथा नथà¥à¤¨à¥‹à¤‚ के à¤à¥€à¤¤à¤° सरसों-का तेल थोड़ी-थोड़ी देर बाद लगाà¤à¤‚| जà¥à¤•à¤¾à¤® का पानी बह जाà¤à¤—ा| 18. नीम, रीठा, कनेर, गà¥à¤µà¤¾à¤°à¤ªà¤¾à¤ ा और सेंधा नमक नीम के बीजों की गिरी, रीठे के बीज, सफेद कनेर का फूल तथा गà¥à¤µà¤¾à¤°à¤ªà¤¾à¤ ा-सबको पीसकर जरा-सा सेंधा नमक डालकर खा जाà¤à¤‚| 19. पà¥à¤¦à¥€à¤¨à¤¾, कालीमिरà¥à¤šÂ और नमक आठपतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ पà¥à¤¦à¥€à¤¨à¤¾, पांच दाने कालीमिरà¥à¤šÂ तथा à¤à¤• चà¥à¤Ÿà¤•à¥€ नमक-सबको चाय की तरह उबालकर पी जाà¤à¤‚| 20. नीबू और सेंधा नमक नीबू के छिलके को पीसकर चटनी बना लें| उसमें जरा-सा सेंधा नमक मिलाकर सेवन करें| 21. हींग हींग को पानी में घोलकर विकà¥à¤¸ की तरह बार-बार सूंघने से जà¥à¤•à¤¾à¤® जलà¥à¤¦à¥€ बह जाता है| 22. सौंफ, लौंग और कालीमिरà¥à¤š चार चमà¥à¤®à¤š सौंफ, चार लौंग और पांच कालीमिरà¥à¤šÂ को à¤à¤• कप पानी में उबालें| चौथाई कप रह जाने पर बूरा मिलकर घूंट-घूंट पिà¤à¤‚| नजला (जà¥à¤•à¤¾à¤®) में कà¥à¤¯à¤¾ खाà¤à¤‚ कà¥à¤¯à¤¾ नहीं बहà¥à¤¤ ठंडी और बहà¥à¤¤ गरम तासीर वाली चीजें न खाà¤à¤‚| चाय, दूध, अमरूद और पपीता, पालक, मेथी आदि की सबà¥à¤œà¥€, गेहूं तथा जौ की चपाती खाà¤à¤‚| रात को बंद कमरे में लेटकर अदरक, तà¥à¤²à¤¸à¥€Â और कालीमिरà¥à¤šÂ का काढ़ा पीकर सो जाà¤à¤‚| गà¥à¤¨à¤—à¥à¤¨à¤¾ पानी पिà¤à¤‚| मटà¥à¤ ा, छाछ, दही, बरà¥à¤«, ठंडा पानी, आलू, करेला, बैंगन, फूलगोà¤à¥€, मूली, टमाटर, सेब, नाशपाती, केला आदि का सेवन न करें| यदि जà¥à¤•à¤¾à¤® के साथ पेट में à¤à¤¾à¤°à¥€à¤ªà¤¨ मालूम पड़े तो मूंग की दाल की खिचड़ी खाà¤à¤‚| नजला (जà¥à¤•à¤¾à¤®) का कारण à¤à¥‹à¤œà¤¨ की खराबी, अधिक मेहनत, चिनà¥à¤¤à¤¾, पानी में à¤à¥€à¤—ने, ठंडी हवा या ओस में सोने, अधिक शराब पीने, शारीरिक कमजोरी, शौच, छींक, मूतà¥à¤°, पà¥à¤¯à¤¾à¤¸, à¤à¥‚ख, नींद, खांसी à¤à¤µà¤‚ जंà¤à¤¾à¤ˆ आदि को रोकने से à¤à¥€ यह रोग उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हो जाता है| रात में जागने और दिन में सोने के बाद तà¥à¤°à¤¨à¥à¤¤ मà¥à¤‚ह धोने, अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• कà¥à¤°à¥‹à¤§ करने, बरà¥à¤« का ठंडा पानी पीने, अधिक रोने, अधिक मैथà¥à¤¨ करने तथा ठंडे पानी से सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करने से à¤à¥€ यह रोग पैदा हो जाता है| यह à¤à¤• संकà¥à¤°à¤¾à¤®à¤• रोग है| इसमें नाक की शà¥à¤²à¥ˆà¤·à¥à¤®à¤¿à¤• à¤à¤¿à¤²à¥à¤²à¥€ में हलà¥à¤•à¥€ सूजन आ जाती है| नजला (जà¥à¤•à¤¾à¤®) की पपहचान शà¥à¤°à¥‚ में नाक में खà¥à¤¶à¥à¤•à¥€ मालूम पड़ती है| बाद में छींकें आने लगती हैं| आंख-नाक से पानी निकलना शà¥à¤°à¥‚ हो जाता है| जब शà¥à¤²à¥‡à¤·à¥à¤®à¤¾ (पानी) गले से नीचे उतरकर पेट में चला जाता है तो खांसी बन जाती है| कफ आने लगता है| कान बंद-से हो जाते हैं| माथा à¤à¤¾à¤°à¥€ और आंखें लाल हो जाती हैं| बार-बार नाक बंद होने के कारण सांस लेने में परेशानी होती है| रात में नींद नहीं आती| रोगी को मà¥à¤‚ह से सांस लेनी पड़ती है| Vaid Deepak Kumar Adarsh Ayurvedic Pharmacy Kankhal Hardwar aapdeepak.hdr@gmail.com 9897902760