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जल और स्वच्छता पर सब का समान अधिकार मानव प्रकृति का अभिन्न अंग- स्वामी चिदानन्द सरस्वती


परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि जल और स्वच्छता पर सभी का समान अधिकार है। वैश्विक स्तर पर 2.1 बिलियन लोगों को अपने घर पर स्वच्छ पेयजल उपलब्ध नहीं हो पाता है और 2.3 बिलियन लोगों के पास बुनियादी स्वच्छता की सुविधायें उपलब्ध नहीं है जिसके कारण महिलाओं और लड़कियों को अत्यधिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

रिपोर्ट  - à¤‘ल न्यूज़ ब्यूरो

ऋषिकेश, 5 जनवरी। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि जल और स्वच्छता पर सभी का समान अधिकार है। वैश्विक स्तर पर 2.1 बिलियन लोगों को अपने घर पर स्वच्छ पेयजल उपलब्ध नहीं हो पाता है और 2.3 बिलियन लोगों के पास बुनियादी स्वच्छता की सुविधायें उपलब्ध नहीं है जिसके कारण महिलाओं और लड़कियों को अत्यधिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अक्सर देखा गया है कि भारत में तो घरेलू स्तर पर पेयजल, सफाई और स्वच्छता प्रबंधन महिलाएँ की जिम्मेदार होती हैं जिसका उनके स्वास्थ्य और सुरक्षा पर सीधा प्रभाव पड़ता है। स्वामी जी ने कहा कि स्वच्छ जल और स्वच्छता तक महिलाओं की पहुंच सुनिश्चित कर उन्हें आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाया जा सकता है। परमार्थ नारी सशक्ति केन्द्र इस ओर अद्भुत कार्य कर रहा है। भारत के कुछ राज्यों में अधिकांश स्थानों पर व परिवारों में स्वच्छ पेयजल के स्रोत घरों से बाहर होते हैं, ऐसे में पानी लाने की जिम्मेदारी महिलाओं और लड़कियों की ही होती जिससे उनकी शिक्षा और स्वास्थ्य दोनों भी प्रभावित होते है। स्वामी जी ने कहा कि भारत एक मेगा-बायोडायवर्सिटी वाला देश है। भारत में वनस्पतियों और जीवों से संबंधित आनुवंशिक संसाधनों का विशाल भंडार मौजूद है परन्तु बढ़ते प्रदूषण और घटते जल स्तर के कारण जैव विविधता पर भी इसका सीधा प्रभाव पड़ रहा है ऐसे में हम सभी का कर्तव्य है कि सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग बंद किया जाये। साथ ही प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन एवं पेड़ों को काटने से भी जल और प्रदूषण की समस्यायें बढ़ती जा रही है।

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