मितà¥à¤°à¤¤à¤¾ दिवस के अवसर पर परमारà¥à¤¥ निकेतन के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ ने अपने संदेश में कहा कि अब समय आ गया है कि हम पेड़ों से मितà¥à¤°à¤¤à¤¾ करंे; अपने परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ से मितà¥à¤°à¤¤à¤¾ करें कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि ये मितà¥à¤°à¤¤à¤¾ सदा-सदा के लिये कायम रहेगी इसलिये आईये पेड़ मितà¥à¤° बनें व परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ मितà¥à¤° बनें।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
ऋषिकेश। आज मितà¥à¤°à¤¤à¤¾ दिवस के अवसर पर परमारà¥à¤¥ निकेतन के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ ने अपने संदेश में कहा कि अब समय आ गया है कि हम पेड़ों से मितà¥à¤°à¤¤à¤¾ करंे; अपने परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ से मितà¥à¤°à¤¤à¤¾ करें कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि ये मितà¥à¤°à¤¤à¤¾ सदा-सदा के लिये कायम रहेगी इसलिये आईये पेड़ मितà¥à¤° बनें व परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ मितà¥à¤° बनें। अगसà¥à¤¤ के पहले रविवार को पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤µà¤°à¥à¤· à¤à¤¾à¤°à¤¤ में मितà¥à¤°à¤¤à¤¾ दिवस मनाया जाता है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ ससà¥à¤µà¤¤à¥€ ने अपने संदेश में कहा कि पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ और परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ संरकà¥à¤·à¤£ के लिये हम सà¤à¥€ को साथ आना होगा और अपने परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ को अपना सबसे शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ मितà¥à¤° बनाना होगा। जिस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° दो मितà¥à¤° à¤à¤•-दूसरे की पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ को समà¤à¤¤à¥‡ हà¥à¤¯à¥‡ पà¥à¤¯à¤¾à¤° और सहकार के साथ रहते हंै तथा रिशà¥à¤¤à¥‹à¤‚ में आने वाली सà¤à¥€ दीवारों को पाटते हà¥à¤¯à¥‡ आगे बà¥à¤¤à¥‡ हैं उसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° हमें अपनी पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ और परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ को समà¤à¤¨à¤¾ होगा। पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ और परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ के साथ घनिषà¥à¤ संबंध जोड़कर à¤à¤• नई संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करना होगा यही आज का दिन हमें संदेश देता है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने कहा कि वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ समय में अमन, à¤à¤•à¤¤à¤¾, सदà¥à¤à¤¾à¤µ, समरसता और à¤à¤¾à¤ˆà¤šà¤¾à¤°à¥‡ की सबसे अधिक जरूरत है। किसी ने कà¥à¤¯à¤¾ खूब कहा है कि ’’मैंने गीता और क़à¥à¤°à¤¾à¤¨ को कà¤à¥€ लड़ते नहीं देखा हंै, और जो इनके लिये लड़ते है उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कà¤à¥€ पà¥à¤¤à¥‡ नहीं देखा है।’ वासà¥à¤¤à¤µ में हमें वैशà¥à¤µà¤¿à¤• सà¥à¤¤à¤° पर सदà¥à¤à¤¾à¤µ की संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करना होगा। अब समय आ गया कि हम ’परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ के पैरोकार और पृथà¥à¤µà¥€ के पहरेदार’ बने। विगत कà¥à¤› वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ मंे मनà¥à¤·à¥à¤¯ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• शोषण किया गया। जैसे-जैसे शहरीकरण बà¥à¤¤à¤¾ गया पेेड़ों को काटा गया, à¤à¥‚जल का अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• दोहन किया गया, अगर यह लमà¥à¤¬à¥‡ समय तक à¤à¤¸à¤¾ ही चलता रहा तो हरे-à¤à¤°à¥‡ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° रेगिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ बन जायेंगे इसलिये अब जन शकà¥à¤¤à¤¿-जल शकà¥à¤¤à¤¿ बने; जल जागरण-जन जागरण बने, अपने जनà¥à¤®à¤¦à¤¿à¤µà¤¸, परà¥à¤µ और तà¥à¤¯à¥‹à¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ के अवसर पर पेडे नहीं पेड़ बाà¤à¤Ÿà¥‡; हर मेड पर पेड लगे, मेरा कचरा मेरी जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€; शिव जी के गले के अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• के साथ अपनी गली का à¤à¥€ अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤•; शिव जी के मसà¥à¤¤à¤• पर अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• के साथ अपनी गलियों का à¤à¥€ अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• करें, मेरा गांव-मेरा गौरव; मेरा शहर, मेरी शान का संकलà¥à¤ª कराते हà¥à¤¯à¥‡ हर गांव और शहरों को पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के अनà¥à¤°à¥‚प बनाने और जीवन जीने का संकलà¥à¤ª लेना होगा।