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किस किस से मांगे क्षमा ?


प्रकृति माँ से : जिसे हम लगातार नष्ट करते जा रहें है... पर्वतों से : जिन्हें हम लगातार जमींदोज़ करते जा रहें है... वृक्षों से : जिन्हें हम अपनी जरूरतों के लिए काटने से नहीं हिचकते...

रिपोर्ट  - à¤µà¤°à¥à¤·à¤¾ वर्मा

प्रकृति माँ से : जिसे हम लगातार नष्ट करते जा रहें है... पर्वतों से : जिन्हें हम लगातार जमींदोज़ करते जा रहें है... वृक्षों से : जिन्हें हम अपनी जरूरतों के लिए काटने से नहीं हिचकते... नदियों से : जिन्हें दूषित करने में हमने कोई कसर नहीं छोड़ी, लगातार खनन करके उनका शोषण कर रहें हैं... वायु से : जिससे हमारा जीवन चलता है उसे प्रदूषित करते चले जा रहें हैं... जल से : जो हमारे शरीर का सत्तर प्रतिशत हिस्सा है, उसको दूषित करके... जंगल से : जिन्हें हम लगातार काटते चले आ रहें हैं... वन्यजीवों से : जिनका हम भक्षण करते आ रहें है... पक्षियों से :जिनके पेड़ पर बने घोसलों को गिराते चले आ रहें हैं... उन प्राणियों से : जिन्हें हम रात्रि में ठीक से विश्राम नहीं करने दे रहे अत्यधिक प्रकाश प्रदूषण करके... इंसानियत से : जिससे हम लगातार दूर होते जा रहें है... सत्य से : जिसे हम त्याग रहें हैं... धर्माचरण से : जिसका हम अनुसरण नहीं कर पा रहे... सहृदयता से : जिसे हम खोते चले जा रहें हैं... बच्चों से : जिनका बचपन हम ख़त्म करते जा रहें हैं... और खुद से भी : क्योंकि हम खुद को खुद से दूर कर रहें हैं

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