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मातृभाषा, मोहब्बत की भाषा, प्रेम की भाषा, प्यार की भाषा यही भारतीय संस्कृति व संस्कार - स्वामी चिदानन्द सरस्वती


परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने अबू धाबी के ऐतिहासिक हिन्दू मन्दिर के दर्शन कर इस अनुपम उपलब्धि के लिये बोचासनवासी अक्षर पुरूषोत्तम स्वामीनारायण संस्था ।

रिपोर्ट  - आल न्यूज़ भारत

ऋषिकेश, 21 फरवरी। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने अबू धाबी के ऐतिहासिक हिन्दू मन्दिर के दर्शन कर इस अनुपम उपलब्धि के लिये बोचासनवासी अक्षर पुरूषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस) और यूएई के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान को धन्यवाद देते हुये कहा कि इसका प्रभाव पूरे विश्व में अद्भुत, अलौकिक और अविस्मरणीय होगा तथा आने वाले समय में इसका व्यापक और वैश्विक असर देखने को मिलेगा। स्वामी ने ब्रह्मविहारी दास स्वामी जी से कहा कि वास्तव में यह प्रभु की ही कृपा है कि अबू धाबी में यह ऐतिहासिक, अद्भुत, विस्मयकारी मंदिर आपके द्वारा की गयी सेवा और समर्पण का उत्कृष्ट प्रतीक है। आप दुनिया भर में दिव्य मंदिर बना रहे हैं। आपने मन्दिरों के माध्यम से आध्यात्मिकता और धार्मिकता को जीवंत व जागृत कर दिया है। यह मंदिर न केवल भगवान स्वामीनारायण और सनातन धर्म के लिए बल्कि एकता, एकजुटता और सद्भाव की महान शक्ति के प्रमाण के रूप में हमेशा खड़ा रहेगा! यहां से सनातन का प्रचार व प्रसार विशुद्ध रूप से होता रहे यही भगवान से मेरी प्रार्थना है। स्वामी जी ने कहा कि सनातन का अर्थ ही है जो सब के लिये है, सदा के लिये है और जो सब को साथ लेकर चलता है। वास्तव में समानता, सद्भाव व समरसता का उत्सव ही तो सनातन है। अबू धाबी, हिन्दू मन्दिर के माध्यम से पूजा के साथ पर्यावरण और संस्कृति के साथ प्रकृति का जो संदेश दिया जा रहा है वह वास्तव में अद्भुत है। साथ ही यह वैश्विक सौहार्द स्थापित करने में भी मददगार सिद्ध होगा। इस ऐतिहासिक मन्दिर के माध्यम से समता, सद्भाव, समरसता व अध्यात्म का ध्वज सदैव लहराता रहे इस हेतु स्वामी ने भारत के तपस्वी, यशस्वी और ऊर्जावान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद देते हुये कहा कि यह इतना आसान नहीं है परन्तु मोदी जी ने कर के दिखाया, वास्तव में मोदी है तो मुमकिन है। वर्तमान समय में न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व में सांस्कृतिक पुनरोदय की शुरूआत हो गयी है।

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