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शिक्षा, स्वास्थ्य और संसदीय कार्य मंत्री, माँ शबरी रामलीला में सहभाग कर कलाकारों का किया उत्साहवर्द्धन


ऋषिकेश, 13 अक्टूबर। परमार्थ निकेतन में आदिवासी, जनजाति और वनवासी कलाकारों द्वारा मंचन की गयी माँ शबरी रामलीला का समापन परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती, शिक्षा, स्वास्थ्य और संसदीय कार्य मंत्री श्री उत्तराखंड सरकार, श्री धनसिंह रावत जी, डा साध्वी भगवती सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में सम्पन्न हुआ।

रिपोर्ट  - 

परमार्थ निकेतन में आदिवासी, जनजाति और वनवासी कलाकारों द्वारा मंचन की गयी माँ शबरी रामलीला का समापन परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती, शिक्षा, स्वास्थ्य और संसदीय कार्य मंत्री श्री उत्तराखंड सरकार, श्री धनसिंह रावत जी, डा साध्वी भगवती सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में सम्पन्न हुआ। रामायण के सभी चरित्रों का अपना विशेष महत्व है, लेकिन माँ शबरी का चरित्र, उनकी सादगी, भक्ति और प्रभु के प्रति उनका असीम समर्पण अद्वितीय है। माँ शबरी का चरित्र इस बात का प्रतीक है कि भक्ति किसी भी जाति, वर्ग या पृष्ठभूमि की सीमाओं से परे है। उनकी निष्ठा और लगन ने प्रभु श्री राम के प्रति उनके प्रेम व भक्ति को अमर बना दिया। उनके द्वारा जूठे बेर का अर्पण करना, उनकी भक्ति और प्रभु के प्रति उनके प्रेम का प्रतीक है, जो आज भी श्रद्धा, भक्ति और प्रेम का उत्कृष्ट उदाहरण है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भक्ति का मार्ग सादगी, प्रेम और समर्पण से युक्त होता है। माँ शबरी का चरित्र अद्वितीय और प्रेरणादायक है। उन्होंने दिखा दिया कि सच्ची भक्ति और समर्पण के बल पर प्रभु से साक्षात्कार सम्भव है। माँ शबरी ने अपना संपूर्ण जीवन प्रभु श्री राम के प्रति समर्पित कर दिया। उनका जीवन अत्यंत सरल और विनम्र था। उन्होंने अपने जीवन में किसी भी प्रकार का आडंबर नहीं किया बल्कि अपने प्रेम और भक्ति के माध्यम से भगवान श्री राम को पा लिया। स्वामी जी ने कहा कि माँ शबरी का चरित्र हमें समाज से जाति, धर्म और समुदाय के भेदभाव को समाप्त कर सभी के प्रति समानता और सम्मान की भावना को विकसित करने का संदेश देता है। आज के समय में जब समाज में अनेक समस्याएँ और चुनौतियाँ हैं, ऐेसे में हमें माँ शबरी के चरित्र से प्रेरणा लेकर सेवा और समर्पण को आत्मसात करना होगा। माँ शबरी की आध्यात्मिकता और भक्ति हमें सिखाती है कि भौतिक सुख-सुविधाओं से अधिक महत्वपूर्ण हमारा आत्मिक संतुलन और आध्यात्मिकता है। आज के समय में जब लोग भौतिक सुखों की तलाश में भागते रहते हैं, माँ शबरी का चरित्र हमें यह सिखाता है कि सच्ची खुशी और संतोष केवल आध्यात्मिकता और भक्ति में ही निहित है। साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि माँ शबरी का चरित्र न केवल रामायण में, बल्कि आज के समाज में भी अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक है। उनका जीवन भक्ति, निष्ठा, समर्पण, सेवा, सरलता और विनम्रता का प्रतीक है। माँ शबरी के चरित्र से हमें प्रेरणा लेते हुये उनके गुणों को अपने जीवन में आत्मसात करने का संकल्प लें। मंत्री धनसिंह रावत ने कहा कि रामलीला न केवल हमारी सांस्कृतिक धरोहर है, बल्कि समाज में नैतिकता, संस्कार, और सामूहिकता को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण माध्यम भी है। रामलीला के माध्यम से प्रभु श्री राम के जीवन का मंचन हमें हमारे धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्य की याद दिलाता हैं। आज के समय में, जब युवा पीढ़ी अपनी जड़ों से दूर होती जा रही हैं, ऐसे में परमार्थ निकेतन में पूज्य स्वामी जी के पावन सान्निध्य में हो रही रामलीला हमें हमारी सांस्कृतिक धरोहर से जुड़ने का संदेश दे रही है। इससे सामूहिकता, सहयोग और भाईचारे की भावना को बढ़ावा मिलता है। उन्होंने कहा कि रामलीला का मंचन राष्ट्रीय एकता और गर्व का प्रतीक है। आप सभी रामलीला के माध्यम से न केवल हमारी सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण कर रहे हैं, बल्कि समाज में नैतिकता, सहयोग, और सामूहिकता की भावनाओं का भी विस्तार कर रहे हैं।

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