पतित पावनी मां गंगा करोड़ों लोगों की आस्था व श्रद्धा का केंद्र रही है।आस्था की नगरी हरिद्वार में गंगा नदी प्रदूषण का संकट गहराता जा रहा है। नमामि गंगे योजना के तहत गंगा को स्वच्छ बनाने के दावों के बावजूद, स्थिति में कोई सुधार नहीं दिख रहा है। तीर्थ नगरी हरिद्वार में ही गंगा में सीधे कई गंदे नाले गिर रहे हैं और नमामि गंगे योजना के तहत बनाई गई नहरें भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई हैं।
रिपोर्ट - विकास शर्मा
हरिद्वार 26 दिसंबर पतित पावनी मां गंगा करोड़ों लोगों की आस्था व श्रद्धा का केंद्र रही है।आस्था की नगरी हरिद्वार में गंगा नदी प्रदूषण का संकट गहराता जा रहा है। नमामि गंगे योजना के तहत गंगा को स्वच्छ बनाने के दावों के बावजूद, स्थिति में कोई सुधार नहीं दिख रहा है। तीर्थ नगरी हरिद्वार में ही गंगा में सीधे कई गंदे नाले गिर रहे हैं और नमामि गंगे योजना के तहत बनाई गई नहरें भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई हैं। हरिद्वार क्षेत्र के जगजीतपुर और सुभाषगढ़ में किसानों के खेतों की सिंचाई के लिए बनाई जानी वाली नहरें भ्रष्टाचार के कारण अधूरी रह गई हैं। और प्रोजेक्ट बंद कर दिए गए हैं l जगजीतपुर नहर तो ट्रायल के दौरान ही ध्वस्त हो गई और उसके पुनर्निर्माण के लिए बार-बार बजट मंजूर किया गया, लेकिन कोई काम नहीं हुआ। इसके अलावा, एसटीपी से निकलने वाला पानी भी गंगा में गिर रहा है, जिससे प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है। करोड़ों रुपए की गंगा प्रदूषण योजनाएं भ्रष्ट अधिकारियों के चलते अधूरी रह गई। गंगा प्रदूषण की कई योजनाएं मात्र कागजों में ही सीमित रह गई है हरिद्वार जगजीतपुर में 18 MLD एसटीपी बनाया गया था, जिसकी डिजाइन 30-35 सालों के लिए थी। लेकिन महज 2 साल बाद ही 27 MLD का एक और एसटीपी बनाया गया। इसी तरह, एक के बाद एक एसटीपी बनते गए, लेकिन अब भी एक और एसटीपी बनाने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। नमामि गंगे योजना के तहत बनाए गए पंपिंग स्टेशन भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए हैं। इन स्टेशनों को 15 साल की गारंटी के साथ डिजाइन गया था, लेकिन महज 2 साल बाद ही इनमें करोड़ों रुपये खर्च करके अपडेट करना पड़ा। गंगा प्रेमी व समाजसेवी रामेश्वर गौड़ ने इस मुद्दे को उठाते हुए जल शक्ति मंत्रालय से शिकायत की है। कई बार उन्होंने गंगा प्रदूषण को लेकर आवाज उठाकर अनशन भी किया लेकिन भ्रष्ट प्रशासन व अधिकारियों के चलते उनकी इस आवाज को अनसुना कर दिया गया। मंत्रालय ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए हरिद्वार जिलाधिकारी को आदेश दिया है कि वह इस मामले की जांच कराए और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करे।