उच्च न्यायालयों और सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति को लेकर ऐसी धारणा अकसर बनाई जाती रही है कि पहली पीढ़ी के वकीलों को चयन प्रक्रिया में तवज्जो नहीं दी जाती। इसकी बजाय ऐसे लोगों को जज के तौर पर प्रमोट किया जाता है, जो दूसरी पीढ़ी के वकील हों और उनके परिजन पहले से जज हों।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
उच्च न्यायालयों और सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति को लेकर ऐसी धारणा अकसर बनाई जाती रही है कि पहली पीढ़ी के वकीलों को चयन प्रक्रिया में तवज्जो नहीं दी जाती। इसकी बजाय ऐसे लोगों को जज के तौर पर प्रमोट किया जाता है, जो दूसरी पीढ़ी के वकील हों और उनके परिजन पहले से जज हों। अब इस धारणा को खत्म करने की पहल कॉलेजियम की ओर से हो सकती है। अब कहा जा रहा है कि कॉलेजियम ऐसे लोगों के नामों को आगे बढ़ाने से परहेज करेगा, जिनकी परिजन या रिश्तेदार पहले से हाई कोर्ट या फिर उससे उच्चतम न्यायालय के जज हों। यदि ऐसा हुआ तो फिर जजों का चयन करने वाली कॉलेजियम की प्रक्रिया में यह बड़ा बदलाव होगा। बता दें कि जजों में ऐसे लोगों की बड़ी संख्या है, जिनका कोई फैमिली मेंबर या फिर रिश्तेदार पहले भी लीगल प्रोफेशन से जुड़े रहे हैं।