Latest News

महाकुंभ में दंडी संन्यासियों का विशेष अखाड़ा


महाकुंभ के सेक्टर 19 में इस बार दंडी संन्यासियों का अखाड़ा लगाया गया है। दंडी संन्यासियों की पहचान उनके दंड से होती है, जिसे भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है। शंकराचार्य बनने से पहले दंडी स्वामी की प्रक्रिया के तहत 12 साल तक ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक है।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

महाकुंभ के सेक्टर 19 में इस बार दंडी संन्यासियों का अखाड़ा लगाया गया है। दंडी संन्यासियों की पहचान उनके दंड से होती है, जिसे भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है। शंकराचार्य बनने से पहले दंडी स्वामी की प्रक्रिया के तहत 12 साल तक ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक है। वे समाज और राष्ट्रहित के लिए समर्पित जीवन जीते हैं। इनका दंड ब्रह्मदंड कहलाता है और इसे शुद्ध रखना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। दंडी संन्यासियों को मृत्यु के बाद जलाया नहीं जाता, बल्कि उनकी समाधि बनाई जाती है, क्योंकि उनकी दीक्षा के दौरान ही अंतिम संस्कार की क्रिया पूरी कर दी जाती है।

ADVERTISEMENT

Related Post