हलà¥à¤¦à¥‚चौड़ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° के पà¥à¤°à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¤ कथावाचक डॉ मनोज पांडे नवरातà¥à¤° परà¥à¤µ पर मां दà¥à¤°à¥à¤—ा की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ के महतà¥à¤µ पर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ डालते हà¥à¤ कहते हैं कि या देवी सरà¥à¤µà¤à¥‚तेषॠशकà¥à¤¤à¤¿ रूपेण संसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¾ 🌹नमसà¥à¤¤à¤¸à¥à¤¯à¥ˆ नमसà¥à¤¤à¤¸à¥à¤¯à¥ˆ नमसà¥à¤¤à¤¸à¥à¤¯à¥ˆ नमो नमः।।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
हलà¥à¤¦à¥‚चौड़ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° के पà¥à¤°à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¤ कथावाचक डॉ मनोज पांडे नवरातà¥à¤° परà¥à¤µ पर मां दà¥à¤°à¥à¤—ा की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ के महतà¥à¤µ पर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ डालते हà¥à¤ कहते हैं कि या देवी सरà¥à¤µà¤à¥‚तेषॠशकà¥à¤¤à¤¿ रूपेण संसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¾ 🌹नमसà¥à¤¤à¤¸à¥à¤¯à¥ˆ नमसà¥à¤¤à¤¸à¥à¤¯à¥ˆ नमसà¥à¤¤à¤¸à¥à¤¯à¥ˆ नमो नमः।। पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के सामà¥à¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ में यानि संसार में à¤à¤¸à¤¾ कोई पदारà¥à¤¥ नहीं है जिसमें कोई न कोई शकà¥à¤¤à¤¿ न हो। विशà¥à¤µ के सà¤à¥€ संपà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ व मतावलमà¥à¤¬à¥€ शकà¥à¤¤à¤¿ की उपासना करते हैं हमने कà¤à¥€ à¤à¥€ किसी को à¤à¤¸à¤¾ कहते हà¥à¤ नहीं सà¥à¤¨à¤¾ मैं à¤à¤—वान विहीन हूं या खà¥à¤¦à¤¾ विहीन हूं या गौड विहीन हूं या गà¥à¤°à¥ विहीन हूं, परनà¥à¤¤à¥ मनà¥à¤·à¥à¤¯ थोड़ी à¤à¥€ असमरà¥à¤¥ होने पर कहता है कि मैं शकà¥à¤¤à¤¿ हीन हो गया हूं,वही शकà¥à¤¤à¤¿ हमारी जगनà¥à¤®à¤¾à¤¤à¤¾ है। à¤à¤—वती शकà¥à¤¤à¤¿ ही जगतॠका पालन कर रही है। महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ के अनà¥à¤¶à¥€à¤²à¤¨ से पता चलता है कि शकà¥à¤¤à¤¿ परम पूजà¥à¤¯à¤¾ है। महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ यà¥à¤¦à¥à¤§ से पूरà¥à¤µ शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ ने अरà¥à¤œà¥à¤¨ को à¤à¥€à¤·à¥à¤®à¤ªà¤°à¥à¤µ के 33 वें अथà¥à¤¯à¤¾à¤¯ में दà¥à¤°à¥à¤—ा के सà¥à¤¤à¥‹à¤¤à¥à¤° के पाठकी आजà¥à¤žà¤¾ दी है। शकà¥à¤¤à¤¿ उपासना तो नितà¥à¤¯ ही करनी चाहिठपरनà¥à¤¤à¥ वासंतिक, और शारदीय नवरातà¥à¤°à¥‹à¤‚ में मां दà¥à¤°à¥à¤—ा की आराधना विशेष फल देने वाली होती है शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦à¥à¤¦à¥‡à¤µà¥€à¤à¤¾à¤—वत के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° वसनà¥à¤¤ और शरद ऋतॠयम दà¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¾ होती है इन ऋतà¥à¤“ं में मां दà¥à¤°à¥à¤—ा की आराधना करने से मनà¥à¤·à¥à¤¯ के शारीरिक और मानसिक रोग शोक नषà¥à¤Ÿ हो जाते हैं। नवरातà¥à¤°à¤¿ विधान में वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ जी वरà¥à¤£à¤¨ करते हà¥à¤ कहते हैं कि नवरातà¥à¤° पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठके पहले दिन (अमावसà¥à¤¯à¤¾ को) पूजा की सà¤à¥€ सामगà¥à¤°à¥€ को à¤à¤•à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¤ कर लेना चाहिठ, बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® मà¥à¤¹à¥‚रà¥à¤¤ में उठकर सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ आदि नितà¥à¤¯ करà¥à¤® के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ पूजन करना चाहिठनितà¥à¤¯ दà¥à¤°à¥à¤—ासपà¥à¤¤à¤¶à¤¤à¥€ का पाठकरना चाहिठया बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ के मà¥à¤– से सà¥à¤¨à¤¨à¤¾ चाहिठदà¥à¤°à¥à¤—ासपà¥à¤¤à¤¶à¤¤à¥€ का पाठकरने से या सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ से मनà¥à¤·à¥à¤¯ की सà¤à¥€ अà¤à¤¿à¤²à¤¾à¤·à¤¾à¤à¤‚ पूरी हो जाती है। नवरातà¥à¤°à¤¿ के उदà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¨ मै 9 कनà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का पूजन करना चाहिठकनà¥à¤¯à¤¾ पूजन से ही वà¥à¤°à¤¤ की पूरà¥à¤£à¤¤à¤¾ होती