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स्वामी हरेंद्रानन्द दिव्य महापुरूष थे-स्वामी विद्यानन्द सरस्वती


ब्रह्मलीन स्वामी हरेंद्रानन्द सरस्वती महाराज को सभी तेरह अखाड़ों के संत महंतों ने अपनी और से उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि देते हुए एक महान संत बताया। इस अवसर पर शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि संतों के सानिध्य में उत्तम चरित्र का निर्माण होता है।

रिपोर्ट  - à¤°à¤¾à¤®à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° गौड़

हरिद्वार, 6 अक्टूबर। ब्रह्मलीन स्वामी हरेंद्रानन्द सरस्वती महाराज को सभी तेरह अखाड़ों के संत महंतों ने अपनी और से उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि देते हुए एक महान संत बताया। इस अवसर पर शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि संतों के सानिध्य में उत्तम चरित्र का निर्माण होता है। जिससे वह स्वयं को सबल बनाकर भक्ति के मार्ग पर अग्रसर होता है। ब्रह्मलीन स्वामी हरेंद्रानन्द सरस्वती महाराज समाज के प्रेरणा स्रोत थे। जिन्होंने समाज का मार्गदर्शन कर एक नई दिशा प्रदान की। भूपतवाला स्थित प्रभु हरिनाथ मंदिर आश्रम में ब्रह्मलीन स्वामी हरेंद्रानन्द सरस्वती महाराज की 14वीं पुण्यतिथी पर संत समाज को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि संतों का जीवन सदैव परमार्थ के लिए समर्पित रहता है। सभी को इनके जीवन से प्रेरणा लेकर राष्ट्र कल्याण के लिए तत्पर रहना चाहिए। श्रद्धांजलि समारोह की अध्यक्षता करते हुए महंत विद्यानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि महापुरूष केवल शरीर त्यागते हैं। उनके उपदेश सदैव समाज को प्रेरणा देते हैं। ब्रह्मलीन स्वामी हरेंद्रानन्द सरस्वती महाराज साक्षात दिव्य महापुरूष थे। जिन्होंने भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म के उत्थान हेतु सम्पूर्ण जीवन समर्पित किया। राष्ट्र की एकता अखण्डता बनाए रखने में उनका योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। आश्रम के परमाध्यक्ष महंत देवानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि संतों के दर्शन मात्र से पापों की निवृति एवं पुण्य की प्राप्ति होती है। जीवन में ज्ञान का प्रकाश होता है। पूज्य गुरूदेव ब्रह्मलीन स्वामी हरेंद्रानन्द सरस्वती महाराज एक तपस्वी संत थे। जिन्होंने सम्पूर्ण जीवन असहाय लोगों की मदद की और मानव सेवा हेतु जीवन समर्पित किया। उन्हीं के आदर्शो पर चलकर संत समाज की सेवा कर उनके द्वारा स्थापित सेवा के प्रकल्पों में निरंतर वृद्धि की जा रही है। श्री महंत विनोद गिरी महाराज एवं श्रीमहंत रामगिरी महाराज ने कहा कि महापुरूषों ने समाज को सदैव एकता के सूत्र में बांधा है और संतों की प्रेरणा से ही समाज में समरसता का वातावरण बनता है। ब्रह्मलीन स्वामी हरेंद्रानन्द सरस्वती महाराज ने समाज से जातपात ऊंचनीच का भेदभाव मिटाकर समाज को ज्ञान की प्रेरणा दी। संत समाज उनका सदैव आभारी रहेगा। इस दौरान महंत दुर्गादास, संत जगजीत सिंह, महंत प्रेमदास, महंत निर्मलदास, महंत धीरेंद्र पुरी, स्वामी ललितानंद गिरी, भक्त दुर्गादास, महंत महेश महाराज, स्वामी विष्णु देवानंद, साध्वी माधवानंद सरस्वती, स्वामी आशुतोष पुरी, स्वामी प्रकाशानंद, महंत राजेंद्रानंद, स्वामी पूर्णानंद गिरी, स्वामी सत्यव्रतानंद, सतपाल ब्रह्मचारी, महंत मोहन सिंह, महंत तीरथा सिंह, आचार्य स्वामी पारसमुनि, स्वामी प्रणवानंद, महंत साधनानंद, पार्षद अनिरूद्ध भाटी, अनिल मिश्रा, अतुल शर्मा, राजेंद्र शर्मा आदि सहित बड़ी संख्या में संत महंत व श्रद्धालु भक्त मौजूद रहे।

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