शà¥à¤°à¥€à¤—à¥à¤°à¥à¤•à¥ƒà¤ªà¤¾ कà¥à¤Ÿà¥€à¤° की परमाधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· संतशà¥à¤°à¥€ रमादेवी माताजी के सानिधà¥à¤¯ में आज अनà¥à¤¨à¤•à¥‚ट गोवरà¥à¤§à¤¨ पूजा के अवसर पर à¤à¤—वान गोवरà¥à¤§à¤¨à¤§à¤¾à¤°à¥€ को छपà¥à¤ªà¤¨ à¤à¥‹à¤— लगाकर समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° में सà¥à¤– à¤à¤µà¤‚ समृदà¥à¤§à¤¿à¤¶à¤¾à¤²à¥€ समाज निरà¥à¤®à¤¾à¤£ की कामना की गई तथा बृजमणà¥à¤¡à¤² à¤à¤µà¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤•à¤¾à¤ªà¥à¤°à¥€ की संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के संरकà¥à¤·à¤£ हेतॠवृहद सà¥à¤¤à¤° पर à¤à¤œà¤¨ कीरà¥à¤¤à¤¨, पूजा आरती का आयोजन किया गया।
रिपोर्ट - रामेशà¥à¤µà¤° गौड़
हरिदà¥à¤µà¤¾à¤°, 28 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर। शà¥à¤°à¥€à¤—à¥à¤°à¥à¤•à¥ƒà¤ªà¤¾ कà¥à¤Ÿà¥€à¤° की परमाधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· संतशà¥à¤°à¥€ रमादेवी माताजी के सानिधà¥à¤¯ में आज अनà¥à¤¨à¤•à¥‚ट गोवरà¥à¤§à¤¨ पूजा के अवसर पर à¤à¤—वान गोवरà¥à¤§à¤¨à¤§à¤¾à¤°à¥€ को छपà¥à¤ªà¤¨ à¤à¥‹à¤— लगाकर समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° में सà¥à¤– à¤à¤µà¤‚ समृदà¥à¤§à¤¿à¤¶à¤¾à¤²à¥€ समाज निरà¥à¤®à¤¾à¤£ की कामना की गई तथा बृजमणà¥à¤¡à¤² à¤à¤µà¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤•à¤¾à¤ªà¥à¤°à¥€ की संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के संरकà¥à¤·à¤£ हेतॠवृहद सà¥à¤¤à¤° पर à¤à¤œà¤¨ कीरà¥à¤¤à¤¨, पूजा आरती का आयोजन किया गया। दिलà¥à¤²à¥€, यूपी तथा गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤ से पधारे सैकड़ों à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ को à¤à¤—वान दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤•à¤¾à¤§à¥€à¤¶ के जीवन चरितà¥à¤° à¤à¤µà¤‚ समाज निरà¥à¤®à¤¾à¤£ की लीलाओं का वरà¥à¤£à¤¨ करते हà¥à¤ शà¥à¤°à¥€à¤—à¥à¤°à¥à¤•à¥ƒà¤ªà¤¾ कà¥à¤Ÿà¥€à¤° की परमाधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· संत शà¥à¤°à¥€à¤°à¤®à¤¾à¤¦à¥‡à¤µà¥€ माताजी ने कहा कि à¤à¤—वान के छपà¥à¤ªà¤¨ à¤à¥‹à¤— का पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¤à¤ƒà¤•à¤°à¤£ को पवितà¥à¤° कर समसà¥à¤¤ विकार à¤à¤µà¤‚ विकृतियों का शमन कर देता है जिससे वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के जीवन में सरलता, सहजता à¤à¤µà¤‚ सहृदयता का समावेश हो जाता है। शà¥à¤°à¥€à¤—à¥à¤°à¥à¤•à¥ƒà¤ªà¤¾ कà¥à¤Ÿà¥€à¤° में विगत 42 वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ से आयोजित हो रहे अनà¥à¤¨à¤•à¥‚ट गोवरà¥à¤§à¤¨ महोतà¥à¤¸à¤µ की विशिषà¥à¤Ÿà¤¤à¤¾à¤“ं का वरà¥à¤£à¤¨ करते हà¥à¤ उनà¥à¤¹à¤¾à¤‚ेने कहा कि पूजà¥à¤¯ गà¥à¤°à¥à¤¦à¥‡à¤µ ने पतित पावनी मां गंगा के तट से यह सेवा उस समय पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ की थी जब इस आननà¥à¤¦ वन कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में ऋषि परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ का समà¥à¤µà¤°à¥à¤¦à¥à¤§à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ हो चà¥à¤•à¤¾ था। पूजà¥à¤¯ गà¥à¤°à¥à¤¦à¥‡à¤µ को नमन करते हà¥à¤ उनà¥à¤¹à¤¾à¤‚ेने कहा कि मां गंगा के अमृत रà¥à¤ªà¥€ पवितà¥à¤° जल से निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ छपà¥à¤ªà¤¨ à¤à¥‹à¤— का आज à¤à¥€ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ है कि जो à¤à¤•à¥à¤¤ इस समारोह का पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ गà¥à¤°à¤¹à¤£ कर लेता है उसके जीवन में नयी अधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• ऊरà¥à¤œà¤¾ का संचार हो जाता है। आशà¥à¤°à¤® की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤• साधà¥à¤µà¥€ à¤à¤•à¥à¤¤à¥€à¤¦à¥‡à¤µà¥€ ने à¤à¤—वान गोवरà¥à¤§à¤¨ की आरती उतार कर समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° à¤à¤µà¤‚ विशà¥à¤µ कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ की कामना करते हà¥à¤ कहा कि तीरà¥à¤¥à¤¸à¥à¤¥à¤² का यह आननà¥à¤¦ वन कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° गंगातट पर सैकड़ों वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ से ऋषि मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की तप सà¥à¤¥à¤²à¥€ रहा है और यही वह सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है जहां पर ऋषि कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ ने à¤à¤¾à¤—वत कथा का पà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤µ किया था। संत शà¥à¤°à¥€à¤°à¤®à¤¾à¤¦à¥‡à¤µà¥€ à¤à¤µà¤‚ साधà¥à¤µà¥€ à¤à¤•à¥à¤¤à¥€à¤¦à¥‡à¤µà¥€ ने पूजà¥à¤¯ गà¥à¤°à¥à¤“ं की संयà¥à¤•à¥à¤¤ रà¥à¤ª से आरती उतार कर सà¤à¥€ à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ तथा अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के उजà¥à¤œà¥à¤µà¤² à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ की कामना की इससे पूरà¥à¤µ संत शà¥à¤°à¥€à¤°à¤®à¤¾à¤¦à¥‡à¤µà¥€ माताजी जी ने शंखनाद के माधà¥à¤¯à¤® से à¤à¤—वान à¤à¤µà¤‚ गà¥à¤°à¥à¤“ं का आवाहà¥à¤¨ कर छपà¥à¤ªà¤¨ à¤à¥‹à¤— का रसासà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¨ कराया। इस अवसर पर दिलà¥à¤²à¥€ तथा गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤ से पधारे हरीश कà¥à¤®à¤¾à¤°, अंजनी बेन, पà¥à¤°à¤µà¥€à¤¨ à¤à¤¾à¤ˆ, à¤à¤—ीरथ à¤à¤¾à¤ˆ, कोमà¥à¤¦à¥€ बेन, कावेरी बेन तथा सविता बेन इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ ने अमृत तà¥à¤²à¥à¤¯ पवितà¥à¤° गंगाजल से निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ छपà¥à¤ªà¤¨ à¤à¥‹à¤— तैयार करवा कर à¤à¤—वान को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ किà¤à¥¤