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हरिद्वार तीर्थ नगरी में गुरु पूर्णिमा पर्व कोरोनाकाल के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के साथ मनाया


गुरु पूर्णिमा पर्व कोरोनाकाल के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के साथ गीता कुटीर, हरमिलाप भवन, गरीब जयराम आश्रम, जगन्नाथ धाम, चेतन ज्योति आश्रम, थानाराम आश्रम, श्री माता वैष्णव शक्ति भवन, हरिहर पुरुसोत्तम धाम हरिपुरकला में वेद मन्त्रों के साथ गुरु पूजन कर मनाया गया |

रिपोर्ट  - à¤°à¤¾à¤®à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° गौड़

हरिद्वार, 24 जुलाई। गुरु पूर्णिमा पर्व कोरोनाकाल के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के साथ गीता कुटीर, हरमिलाप भवन, जयराम आश्रम, जगन्नाथ धाम, चेतन ज्योति आश्रम, थानाराम आश्रम, श्री माता वैष्णव शक्ति भवन, हरिहर पुरुसोत्तम धाम हरिपुरकला में वेद मन्त्रों के साथ गुरु पूजन कर मनाया गया | सतों ने गुरु पूर्णिमा पर गुरु के महत्व के बारे में कहा गुरु का महत्व उनके शिष्यों को भली भाँती पता होता है। अगर गुरु नहीं तो शिष्य भी नहींए अर्थात गुरु के बिना शिष्य का कोई अस्तित्व नहीं होता है। प्राचीन काल से गुरु और उनका आशीर्वादए भारतीय परंपरा और संस्कृति का अभिन्न अंग है। प्राचीन समय में गुरु अपनी शिक्षा गुरुकुल में दिया करते थे। गुरु से शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात शिष्य उनके पैर स्पर्श करके उनका आशीर्वाद लेते थे। गुरु का स्थान माता दृ पिता से अधिक होता है। गुरु के बैगर शिष्यों का वजूद नहीं होता है। जिन्दगी के सही मार्ग का दर्शन छात्रों को उनके गुरु जी करवाते है। जीवन में छात्र सही गलत का फर्क गुरूजी के शिक्षा के बिना नहीं कर सकते है। शिष्यों के जिन्दगी में गुरु का स्थान सबसे ऊंचा होता है। गुरू जो भी फैसला लेते है उनके शिष्य उनका अनुकरण करते है। गुरु शिष्यों के मार्ग दर्शक है और शिष्यों की जिन्दगी में अहम भूमिका निभाते है। हर किसी के जीवन में गुरु का विशेष महत्व होता है। मनुष्य को गुरु का महत्व समझना चाहिए और जीवन पर्यन्त उनका सम्मान करना चाहिए। उनके आशीर्वाद के बैगर मनुष्य अधूरे है। गुरु को प्रणाम किये बिना हम कोई शुभ कार्य शुरू नहीं करते है। उनके द्वारा दी गयी शिक्षा मनुष्य को जीवन भर काम आती है। उनके आशीर्वाद से कीमती चीज़ए उनके शिष्य के लिए और कुछ हो ही नहीं सकती है। गुरु के प्रति हमेशा शिष्य के मन में श्रद्धा होनी चाहिएए तभी शिष्य अपने कार्य के बारीकियों को भली भाँती सीख सकते है।

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