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ब्रह्मलीन स्वामी रामेश्वरानन्द महाराज महान संत थे-बाबा हठयोगी, स्वामी अवधेशानन्द बने नारायण à¤


भूपतवाला स्थित नारायण निवास आश्रम का विवाद सभी संतों की आपसी सहमति के बाद सुलझ गया। ब्रह्मलीन स्वामी रामेश्वरानन्द महाराज की षोड़शी के अवसर पर अखिल भारतीय श्री गरीबदासीय साधु समाज, षड़दर्शन साधु समाज व सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरूषों के सानिध्य में स्वामी अवधेशानन्द महाराज को तिलक चादर प्रदान कर नारायण निवास आश्रम का उत्तराधिकारी नियुक्त किया गया।

रिपोर्ट  - 

ब्रह्मलीन स्वामी रामेश्वरानन्द महाराज महान संत थे-बाबा हठयोगी स्वामी अवधेशानन्द बने नारायण निवास आश्रम के महंत हरिद्वार, 2 अगस्त। भूपतवाला स्थित नारायण निवास आश्रम का विवाद सभी संतों की आपसी सहमति के बाद सुलझ गया। ब्रह्मलीन स्वामी रामेश्वरानन्द महाराज की षोड़शी के अवसर पर अखिल भारतीय श्री गरीबदासीय साधु समाज, षड़दर्शन साधु समाज व सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरूषों के सानिध्य में स्वामी अवधेशानन्द महाराज को तिलक चादर प्रदान कर नारायण निवास आश्रम का उत्तराधिकारी नियुक्त किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बाबा हठयोगी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी रामेश्वरानन्द महाराज महान संत थे। जिन्होंने अपने जीवन काल में सनातन परंपराओं का निर्वहन करते हुए समाज को सदैव उन्नति की और अग्रसर किया। आशा है कि उनके शिष्य स्वामी अवधेशानन्द उनके पदचिन्हों पर चलकर संत समाज की सेवा और अपने गुरू के अधूरे कार्यो को पूर्ण करते हुए आश्रम के सेवा प्रकल्पों में बढ़ोतरी करेंगे। चेतन ज्योति आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी ऋषिश्वरानन्द महाराज ने कहा कि योग्य गुरू को ही सुयोग्य शिष्य की प्राप्ति होती है। ब्रह्मलीन स्वामी रामेश्वरानन्द महाराज एक विद्वान व मृदुभाषी संत थे। जिन्होंने अपने व्यवहार के माध्यम से सभी संतों को एक मंच पर एकत्र करने का कार्य किया। उनके परम शिष्य स्वामी अवधेशानन्द महाराज युवा संत हैं। जिन्हें अपने गुरू के जीवन से प्रेरणा लेकर राष्ट्र कल्याण में अपनी सहभागिता को सुनिश्चित करना चाहिए। भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म का प्रचार कर अपने गुरू का गौरव बढ़ाना चाहिए। म.म.स्वामी कृष्णानन्द महाराज ने कहा कि महापुरूषों ने सदैव समाज को नई दिशा प्रदान की है। संतों के सानिध्य में ही व्यक्ति को ज्ञान की प्राप्ति होती है। स्वामी अवधेशानन्द महाराज को जो दायित्व सौंपा गया है। उन्हें उसका पूरी निष्ठा के साथ निर्वहन कर समाज को एकता के सूत्र में बांधना होगा और अपने तप व ज्ञान के माध्यम से आश्रम को उत्तरोत्तर बढ़ोतरी के लिए जाना होगा। नवनियुक्त उत्तराधिकारी महंत स्वामी अवधेशानन्द महाराज ने उपस्थित संत समुदाय का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि जो दायित्व संत समाज द्वारा उन्हें सौंपा गया है। उसका संत परंपरा के अनुरूप निष्ठा के साथ पालन करते हुए गुरूदेव द्वारा स्थापित किए गए सेवा प्रकल्पों को गति प्रदान की जाएगी। उन्होंने कहा कि उनके गुरूदेव ब्रह्मलीन स्वामी रामेश्वरानन्द महाराज की शिक्षाओं का पालन करते हुए गौ, गंगा के संरक्षण व संवर्द्धन में हमेशा अपना योगदान प्रदान करेंगे। कार्यक्रम में पधारे सभी संत महापुरूषों का भाजयुमो नेता विदित शर्मा, अनिरूद्ध भाटी, रितेश वशिष्ठ, विनीत जौली ने फूलमालाएं पहनाकर व शाॅल ओढ़ाकर सम्मानित किया और आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर श्रीमहंत विनोद गिरी, स्वामी अनन्तानन्द, महंत कमलदास, स्वामी प्रबोधानन्द गिरी, महंत प्रेमदास, महंत विनोद महाराज, श्रीमहंत विनोद महाराज, स्वामी मधुर वन, महंत डोगर गिरी, स्वामी कल्याणदेव, स्वामी महिमानन्द, स्वामी ज्ञानानन्द, स्वामी अनन्तानन्द राम, स्वामी परमात्मदेव, स्वामी योगश्वरानन्द, म.म.स्वामी जगदीश स्वरूप सहित बड़ी संख्या में संत महापुरूष मौजूद रहे।

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