परमारà¥à¤¥ निकेतन के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ ने आज चातà¥à¤°à¥à¤®à¤¾à¤¸ के आरमà¥à¤ अवसर पर परमारà¥à¤¥ निकेतन पà¥à¤°à¤¾à¤‚गण में विशेष हवन कर विशà¥à¤µ शानà¥à¤¤à¤¿ की पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ की। हिंदू धरà¥à¤® में à¤à¤•à¤¾à¤¦à¤¶à¥€ तिथि और वà¥à¤°à¤¤ का विशेष आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• महतà¥à¤µ है।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
10 जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ, ऋषिकेश। परमारà¥à¤¥ निकेतन के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ ने आज चातà¥à¤°à¥à¤®à¤¾à¤¸ के आरमà¥à¤ अवसर पर परमारà¥à¤¥ निकेतन पà¥à¤°à¤¾à¤‚गण में विशेष हवन कर विशà¥à¤µ शानà¥à¤¤à¤¿ की पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ की। हिंदू धरà¥à¤® में à¤à¤•à¤¾à¤¦à¤¶à¥€ तिथि और वà¥à¤°à¤¤ का विशेष आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• महतà¥à¤µ है। वरà¥à¤· में चैबीस à¤à¤•à¤¾à¤¦à¤¶à¤¿à¤¯à¤¾à¤ होती हैं और जब अधिकमास आता है तब इनकी संखà¥à¤¯à¤¾ बà¥à¤•à¤° 26 हो जाती हंै। आषाॠमास के शà¥à¤•à¥à¤² पकà¥à¤· की à¤à¤•à¤¾à¤¦à¤¶à¥€ को देवशयनी à¤à¤•à¤¾à¤¦à¤¶à¥€ कहा जाता है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इस दिन à¤à¤—वान सूरà¥à¤¯, मिथà¥à¤¨ राशि में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करते हैं, इसी दिन से चातà¥à¤°à¥à¤®à¤¾à¤¸ का आरंठहोता है। सनातन संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° आज से à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€ हरि विषà¥à¤£à¥ कà¥à¤·à¥€à¤°à¤¸à¤¾à¤—र में शयन करते हैं और फिर लगà¤à¤— चार माह बाद जब à¤à¤—वान सूरà¥à¤¯, तà¥à¤²à¤¾ राशि में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करते हैं उस तिथि को देवोतà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€ à¤à¤•à¤¾à¤¦à¤¶à¥€ कहा जाता है। देवशयनी और देवोतà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€ à¤à¤•à¤¾à¤¦à¤¶à¥€ के इस बीच के अंतराल को चातà¥à¤°à¥à¤®à¤¾à¤¸ कहा जाता है। शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में उलà¥à¤²à¥‡à¤– किया गया है कि जब à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ वामन अवतार में आठऔर दैतà¥à¤¯à¤°à¤¾à¤œ राजा बलि से तीन पग à¤à¥‚मि दान में मांगी तब उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पहले पग में संपूरà¥à¤£ पृथà¥à¤µà¥€, आकाश और सà¤à¥€ दिशाओं को ढक लिया था। दूसरे पग में उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सà¥à¤µà¤°à¥à¤— लोक को ले लिया था और तीसरे पग में राजा बलि ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपने सिर पर पैर रखने के लिठकहा, राजा बलि की इस बात से वामन रूप à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ अतà¥à¤¯à¤‚त पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤ और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बलि को पाताल लोक का राजा बना दिया, तब राजा बलि ने à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ से कहा कि पà¥à¤°à¤à¥ आप हमारे साथ ही निवास करें। राजा बलि की à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ को देखते हà¥à¤ चार माह à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ ने पाताल लोक में निवास किया। यह चार माह देवशयनी à¤à¤•à¤¾à¤¦à¤¶à¥€ से पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठहोकर देवउठनी à¤à¤•à¤¾à¤¦à¤¶à¥€ तक चलते हैं तथा यह सनातन धरà¥à¤® परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ के लिये अतà¥à¤¯à¤‚त महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी ने कहा कि हमारे शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में नदियों, सागर, पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿, और पेड़-पौधों के संरकà¥à¤·à¤£ और संवरà¥à¤¦à¥à¤§à¤¨ की महिमा का उलà¥à¤²à¥‡à¤– किया गया हंै। वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ समय में हमारी नदियां पà¥à¤°à¤¦à¥‚षित हो रही हैं, समà¥à¤¦à¥à¤° की लहरों के साथ पà¥à¤²à¤¾à¤¸à¥à¤Ÿà¤¿à¤• के à¥à¥‡à¤° तटोें पर à¤à¤•à¤¤à¥à¤° हो रहे हैं, जिससे जलीय जीवन अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ हो रहा है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने कहा कि पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वरà¥à¤· 300 मिलियन टन से अधिक पà¥à¤²à¤¾à¤¸à¥à¤Ÿà¤¿à¤• का उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ किया जाता है जिसमें से आधे का उपयोग शॉपिंग बैग, कप और सà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‰ जैसी à¤à¤•à¤²-उपयोग वाली वसà¥à¤¤à¥à¤“ं को डिजाइन करने के लिये किया जाता है। केवल 9 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ पà¥à¤²à¤¾à¤¸à¥à¤Ÿà¤¿à¤• कचरे का पà¥à¤¨à¤°à¥à¤šà¤•à¥à¤°à¤£ किया जाता है। लगà¤à¤— 12 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ को जला दिया जाता है जबकि 79 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ लैंडफिल में जमा हो जाता है।