Latest News

संत समाज के प्रेरणास्रोत हैं भगवान श्रीचंद्र-श्रीमहंत रविन्द्रपुरी


उदासीनाचार्य जगतगुरु भगवान श्रीचंद्र की 528वीं जयंती कनखल पहाड़ी बाजार स्थित श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन में समारोह पूर्वक मनायी गयी। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहतं रविन्द्रपंुरी महाराज की अध्यक्षता तथा श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन के मुखिया महंत भगतराम महाराज, श्रीमहंत धुनीदास महाराज के संयोजन में आयोजित कार्यक्रम में संत समाज ने धर्म घ्वजा फहरायी की और भगवान श्रीचंद्र की पूजा अर्चना कर लोककल्याण की कामना की।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार, 5 सितम्बर। उदासीनाचार्य जगतगुरु भगवान श्रीचंद्र की 528वीं जयंती कनखल पहाड़ी बाजार स्थित श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन में समारोह पूर्वक मनायी गयी। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहतं रविन्द्रपंुरी महाराज की अध्यक्षता तथा श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन के मुखिया महंत भगतराम महाराज, श्रीमहंत धुनीदास महाराज के संयोजन में आयोजित कार्यक्रम में संत समाज ने धर्म घ्वजा फहरायी की और भगवान श्रीचंद्र की पूजा अर्चना कर लोककल्याण की कामना की। इस अवसर पर अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्रपंुरी महाराज ने कहा कि भगवान श्रीचंद्र जन-जन के आराध्य और संत समाज के प्रेरणा स्रोत हैं। भगवान श्रीचंद्र ने समाज में ज्ञान का प्रकाश कर अज्ञानता के अंधकार को दूर किया और कुरीतियों को दूर कर समाज को एकता के सूत्र में बांधा। मुखिया महंत भगतराम महाराज ने कहा कि समाज को ज्ञान और भक्ति की प्रेरणा देने वाले भगवान श्रीचंद्र की शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए सभी को मानव कल्याण में योगदान करना चाहिए। अखाड़ा परिषद अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने कहा कि भगवान श्रीचंद्र के दिखाए ज्ञान भक्ति के मार्ग का अनुसरण करते हुए संत समाज राष्ट्र कल्याण में अपना योगदान कर रहा है। उन्होंने कहा कि संत समाज ने हमेशा ही भक्तों को ज्ञान की प्ररेणा देकर उनके कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया है। अखिल भारतीय श्रीपंच निर्वाणी अनी अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत धर्मदास महाराज ने कहा कि जगद्गुरु श्रीचंद्र भगवान किसी एक संप्रदाय विशेष के नहीं बल्कि समस्त संत समाज के पूजनीय है। हम सभी को उनके आदर्श पूर्ण जीवन मे निहित सार को अपनाते हुए राष्ट्र की एकता अखंडता बनाए रखने में अपना सहयोग प्रदान करना चाहिए। महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरि महाराज ने कहा कि जगद्गुरु उदासीनाचार्य श्रीचंद्र भगवान लुप्त होते उदासीन संप्रदाय के पुनः प्रवर्तक और त्याग एवं तपस्या की साक्षात प्रतिमूर्ति थे।

Related Post