गोस्वामी द्वारकेशलाल के श्रीमुख से हो रही श्रीकृष्ण चरित्रामृत कथा महोत्सव का समापन हुआ। इस महोत्सव में भारत के विभिन्न राज्यों से आए श्रद्धालुओं को परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी का पावन सान्निध्य, अद्भुत सत्संग और दिव्य आशीर्वाद प्राप्त हुआ।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
ऋषिकेश, 22 अक्टूबर। गोस्वामी द्वारकेशलाल के श्रीमुख से हो रही श्रीकृष्ण चरित्रामृत कथा महोत्सव का समापन हुआ। इस महोत्सव में भारत के विभिन्न राज्यों से आए श्रद्धालुओं को परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी का पावन सान्निध्य, अद्भुत सत्संग और दिव्य आशीर्वाद प्राप्त हुआ। श्रीकृष्ण चरित्रामृत कथा महोत्सव के समापन के पश्चात स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और गोस्वामी श्री द्वारकेशलाल जी ने यमुना जी की स्वच्छता, निर्मलता और अविरलता को बनाए रखने हेतु विशेष चर्चा की। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि यमुना जी को स्वच्छ व अविरल बनाये रखने के लिये विश्व के सभी वैष्णव भक्त, मथुरा, वृंदावन धाम के सभी कथाकार महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। स्वामी जी ने बताया कि परमार्थ निकेतन, आश्रम द्वारा विगत कई वर्षों से यमुना जी की स्वच्छता के प्रति जागरूकता हेतु दिल्ली में यमुना जी के तटों पर कवि सम्मेलन और भव्य व दिव्य यमुना जी की आरती आदि महोत्सवों का आयोजन किया जाता रहा है। इस विषय में भारत के लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिड़ला जी से भी विशेष चर्चा हुई। उनसे चर्चा के दौरान ’’यमुना संसद’’ आयोजित करने हेतु विशेष योजना बनायी जा रही है। इस दौरान स्वामी जी ने माननीय ओम बिड़ला जी के साथ हुई भेटवार्ता का जिक्र करते हुये कहा कि यमुना जी में बढ़ते प्रदूषण को रोकने और इसके प्रति जनसमुदाय को जागरूक करने के लिये यमुना जी के तटों पर स्थित जिलों के पर्यावरण कार्यकर्ता, प्रकृति व जल विशेषज्ञ, धार्मिक संगठनों को आमंत्रित कर ’यमुना संसद’ का आयोजन विज्ञान भवन, दिल्ली, परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश तथा कुम्भ मेला प्रयागराज में आयोजित करने की योजना बनायी गई है। जिसमें यमुना तट के सभी माननीय सांसद, विधायक गण, नगर निगम महापौर, नगर पालिका अध्यक्ष, नगर पंचायत, ग्राम पंचायत, वन पंचायत, जल शक्ति मंत्रालय व माननीय मंत्रीगण, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय व मंत्री गण, शहरी आवास विकास, ग्राम्य विकास मंत्री तथा संबंधित अधिकारियों एवं पर्यावरण विशेषज्ञों को भी आमंत्रित किया जाने पर भी विचार विमर्श किया जा रहा है। स्वामी जी ने कहा कि यमुना जी का महत्व भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं के केन्द्र में हैं। यमुना जी भारत के दिल दिल्ली से होकर बहती है। यमुना जी, भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय नदी होने के साथ उनकी अनेक लीलाओं की साक्षी भी हैं। वृंदावन और मथुरा में आज भी श्रीकृष्ण व यमुना जी की प्रेममय लीलाओं को देख सकते हैं। वहीं दूसरी ओर यमुना जी का उद्गम स्थान हिमालय से हुआ है और यह राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली से होकर प्रवाहित होती हैं। सांस्कृतिक दृष्टि से यमुना जी के तट पर कुम्भ मेला और अनेक सांस्कृतिक आयोजन होते हैं जिसमें भारतीय संस्कृति की छवि स्पष्ट दिखायी देती है।