हे. न. ब. गढ़वाल विश्वविद्यालय के डॉ. अम्बेडकर उत्कृष्ट ता केंद्र (डीएसीई) एवं संस्थान नवाचार परिषद (आईआईसी) द्वारा देव भूमि विचार मंच (प्रज्ञा प्रवाह) की विश्वविद्यालय इकाई के साथ मिलकर शोधार्थियों के कौशल को विकसित करने हेतु एक दिवसीय"शोधार्थी कौशल विकास कार्यशाला" का आयोजन विश्वविद्यालय के चौरास परिसर स्थित डॉ अम्बेडकर उत्कृष्टता केंद्र में किया गया।
रिपोर्ट - अंजना भट्ट घिल्डियाल
हे. न. ब. गढ़वाल विश्वविद्यालय के डॉ. अम्बेडकर उत्कृष्ट ता केंद्र (डीएसीई) एवं संस्थान नवाचार परिषद (आईआईसी) द्वारा देव भूमि विचार मंच (प्रज्ञा प्रवाह) की विश्वविद्यालय इकाई के साथ मिलकर शोधार्थियों के कौशल को विकसित करने हेतु एक दिवसीय"शोधार्थी कौशल विकास कार्यशाला" का आयोजन विश्वविद्यालय के चौरास परिसर स्थित डॉ अम्बेडकर उत्कृष्टता केंद्र में किया गया। कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में विश्वविद्यालय के निदेशक,शोध एवं विकास प्रो. हेमवती नंदन, संस्थान नवाचार परिषद के अध्यक्ष डॉ. राम कुमार साहू एवं प्रज्ञा प्रवाह के क्षेत्रीय संयोजक श्री भगवती प्रसाद राघव सहित विश्वविद्यालय के कई शिक्षक उपस्थित रहे। डॉ. अम्बेडकर उत्कृष्टता केंद्र के समन्वयक प्रो एम एम सेमवाल ने कार्यशाला के आयोजन पर हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि उत्कृष्टता केंद्र शोधार्थियों एवं छात्र छात्राओं के समग्र विकास हेतु समय समय पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करता रहता है।कार्यशाला के संयोजक डॉ. आशीष बहुगुणा ने बताया कि एक दिवसीय कार्यशाला में चार सत्रों में विभिन्न विषयों पर विशेषज्ञ व्याख्यान दिए गए। उद्घाटन सत्र के बाद पहले विशेषज्ञ व्याख्यान में डॉ. कविता भट्ट द्वारा भारतीय ज्ञान पारंपरा के विभिन्न आयामों के बारे में शोधार्थियों को अवगत कराया गया। द्वितीय सत्र में डॉ रोहित महर द्वारा रिसर्च टूल्स और तकनीकी के बारे शोधार्थियों का ज्ञानवर्धन किया गया। तृतीय सत्र में प्रो. हेमवती नंदन द्वारा शोधार्थियों को शोध में नैतिकता, सत्यता एवं साहित्यिक चोरी जैसे विभिन्न आयामों के बारे में चर्चा की गई। चतुर्थ सत्र में डॉ आशीष बहुगुणा द्वारा विमर्श एवं सार्वजनिक संभाषणों में शोधार्थियों की भूमिका पर व्याख्यान प्रस्तुत किया गया। कार्यशाला के अंतिम एवं समापन सत्र में प्रज्ञा प्रवाह के क्षेत्रीय संयोजक श्री भगवती प्रसाद राघव द्वारा शोधार्थियों को संबोधित किया तथा उनको शोध प्रबंध में भारतीय विचार, संस्कृति एवं ज्ञान परंपरा पर गहन शोध हेतु आह्वाहन किया गया। कार्यक्रम के अंत में डॉ. आशीष बहुगुणा द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया। सर्वप्रथम उन्होंने विश्वविद्यालय की माननीय कुलपति महोदया प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल एवं डॉ. अम्बेडकर उत्कृष्टता केंद्र के समन्वयक प्रो. एम. एम. सेमवाल को कार्यक्रम आयोजित करने में सहयोग प्रदान करने हेतु धन्यवाद प्रस्तुत किया गया। कार्यशाला में लगभग ६० शोधार्थियों ने प्रतिभाग किया।