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भाषा व भूमि है जीवन का आधार - स्वामी चिदानन्द सरस्वती


परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी अपनी विदेश यात्रा पर हैं। आज प्रवासी भारतीय दिवस की पूर्व संध्या पर उन्होंने अनिवासी भारतीयों को सम्बोधित करते हुये उन्हें अपनी जड़ों, मूल्यों और मूल से जुड़ने का संदेश दिया।

रिपोर्ट  - आल न्यूज़ भारत

ऋषिकेश, 8 जनवरी। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी अपनी विदेश यात्रा पर हैं। आज प्रवासी भारतीय दिवस की पूर्व संध्या पर उन्होंने अनिवासी भारतीयों को सम्बोधित करते हुये उन्हें अपनी जड़ों, मूल्यों और मूल से जुड़ने का संदेश दिया। उन्होंने भारत की विकास यात्रा में प्रवासी भारतीयों के योगदान और उपलब्धियों की सराहना करते हुये उन्हें अपनी भाषा और अपनी भूमि से जुड़ें रहने हेतु प्रेरित किया। प्रवासी भारतीय दिवस प्रतिवर्ष 9 जनवरी को महात्मा गांधी जी की 1915 में दक्षिण अफ्रीका से भारत वापसी की याद में मनाया जाता है। यह दिन प्रवासी भारतीय समुदाय के साथ जुड़ने, देश की उपलब्धियों और प्रगति में उनके योगदान का जश्न मनाने का अवसर प्रदान करता है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि प्रवासी भारतीय दिवस भारत में निवेश के अवसर प्रदान करने के साथ-साथ सांस्कृतिक आदान-प्रदान और नेटवर्किंग के लिये जरूरी है परन्तु जब बात स्वयं और आने वाली पीढ़ियों पर निवेश की है तो भारतीय संस्कृति, संस्कार, मूल व मूल्यों को समझना, उनसे जुड़ना और आनी वाली पीढ़ियों को जोड़ना नितांत आवश्यक है। यह दिन प्रवासी भारतीयों के साथ जुड़ने और देश की प्रगति और क्षमता को प्रदर्शित करने का एक महत्वपूर्ण संदेश देता है। स्वामी जी ने कहा कि यह एक त्यौहार है जो प्रवासी भारतीय समुदाय को अपनी जड़ों से दोबारा जुड़ने और भारत की संस्कृति, संस्कार और परंपराओं के बारे में जानने का एक अद्भुत अवसर प्रदान करता है। इस अमृतकाल के अवसर पर नए भारत के निर्माण में; “आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में सभी को समेकित प्रयास करना होगा। भारत व भारत के बाहर रहने वाले भारतीय मूल के हमारे भाई-बहन मिलकर आपसी व सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत कर भारतीय संस्कृति व सांस्कृतिक संबंधों को एक नई उड़ान दे सकते हैं और अपनी मातृभूमि के साथ अपनों संबंधों को और मजबूत कर सकते है।

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