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हरिः शरणम् है जीवन का मूल मंत्र श्री राधाकृष्ण


अध्यात्म को जीना कठिन है, पर यही जीवन जीने का सच्चा व वास्तविक मार्ग है। इस पवित्र गंगा तट पर श्रवण की कथा को अपने हृदय में उतरने देना तथा कथायें में बताये मूल्यों के अनुरूप जीवन जीने का प्रयास करना और कथा के मर्म को अपने साथ लेकर जाना।

रिपोर्ट  - आल न्यूज़ भारत

ऋषिकेश, 28 अप्रैल। परमार्थ निकेतन में विख्यात कथाकार गोवत्स श्री राधाकृष्ण महाराज के श्रीमुख से श्रीमद्भागवत कथा की ज्ञान गंगा प्रवाहित हो रही है। इस दिव्य कथा को श्रवण करने हेतु देश-विदेश व भारत के विभिन्न राज्यों से आये भक्तों व श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुये स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि कथा श्रवण करना; सत्संग करना अध्यात्म जीवन में प्रवेश की प्रथम कुंजी है। आध्यात्मिक होना और अध्यात्म को जानना सरल है परन्तु अध्यात्म को जीना कठिन है, पर यही जीवन जीने का सच्चा व वास्तविक मार्ग है। इस पवित्र गंगा तट पर श्रवण की कथा को अपने हृदय में उतरने देना तथा कथायें में बताये मूल्यों के अनुरूप जीवन जीने का प्रयास करना और कथा के मर्म को अपने साथ लेकर जाना। स्वामी ने कहा कि ’भारत, ऋषियों की भूमि है और उत्तराखण्ड तो माँ गंगा का उद्गम स्थल है, हिमालय की भूमि है। यहां पर दुनिया के कोने-कोने से साधक शान्ति और योग की तलाश में आते है। भारतीय अध्यात्म एवं दर्शन ने सदियों से पूरी दुनिया को शान्ति और सदाचार की शिक्षा एवं संस्कार प्रदान किये हैं। स्वामी जी ने कहा कि धनवान वह नहीं जिसकी तिजोरी में धन हो बल्कि धनवान वह है जिसके जीवन की तिजोरी में मानवता हो, प्रेम हो, इंसानियत हो और ईमानदारी हो यही संदेश हमें कथायें देती हैं।

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