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संगम के तट से संगम का संदेश देने वाली यात्रा


महाकुम्भ यात्रा को आज स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने लखनऊ के 1090 चौराहा से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह यात्रा उत्तर प्रदेश के 58,189 गांवों, 826 ब्लॉकों, 350 तहसीलों, 75 जिलों और 18 मंडलों से होते हुए प्रयागराज तक पहुंचेगी।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

ऋषिकेश, 16 दिसम्बर। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने महाकुम्भ यात्रा को लखनऊ 1090 चौराहा से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार और महाकुम्भ के ऐतिहासिक महत्व को जन-जन तक पहुंचाने हेतु दैनिक जागरण द्वारा आयोजित महाकुम्भ यात्रा को आज स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने लखनऊ के 1090 चौराहा से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह यात्रा उत्तर प्रदेश के 58,189 गांवों, 826 ब्लॉकों, 350 तहसीलों, 75 जिलों और 18 मंडलों से होते हुए प्रयागराज तक पहुंचेगी। महाकुम्भ यात्रा 2025 के महाकुम्भ मेले में सहभाग का एक आमंत्रण है। इस यात्रा का उद्देश्य सनातन धर्म की महान परंपराओं को पुनः जीवित करना और समाज में आध्यात्मिक चेतना जागृत करना है। कुम्भ की यात्रा सनातन की यात्रा है। सत्ता की नहीं सत्य की यात्रा है। देश के जागरण के लिये, गांवों का जागरण, हर गली का जागरण तभी तो होगा सच्चा जागरण। इसके लिये हर मंडल से हर मन तक की यात्रा और हर घर से हर गली की यात्रा, हर गली से गांव की यात्रा, मुल्क से मोहल्ले की यात्रा की ओर बढ़न होगा क्योंकि सब की यात्रा सनातन की यात्रा है और कुम्भ की यात्रा भीड़ की नहीं भाव की यात्रा है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि महाकुम्भ यात्रा न केवल एक धार्मिक यात्रा है, बल्कि यह हमारे देश के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक गौरव की ओर कदम बढ़ने का प्रतीक है। यह यात्रा हर घर, हर दिल, और हर घाट तक सनातन धर्म का संदेश पहुंचाएगी। महाकुम्भ के अद्वितीय महत्व को समझना और उसे जन-जन तक पहुंचाना हम सभी का कर्तव्य है। कुंभ, भारत की दिव्य शक्ति है, सनातन की दिव्यता का प्रतीक है। भारत के संगम का दिव्य दर्शन है। यह दिव्य व भव्य समागम हमें भारत की सदियों पुरानी आध्यात्मिक परंपरा के दर्शन कराता है।

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