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वेद, भारतीय ज्ञान का सबसे प्राचीन और सबसे व्यापक स्रोत - स्वामी चिदानन्द सरस्वती


परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने वेदों द्वारा समाज के कल्याण और विकास हेतु प्रेरणादायक विचार व मार्गदर्शन कार्यक्रम में सहभाग कर वेदों की समग्रता पर अपना उद्बोधन दिया।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

ऋषिकेश, गुरूग्राम। 27 दिसम्बर। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने वेदों द्वारा समाज के कल्याण और विकास हेतु प्रेरणादायक विचार व मार्गदर्शन कार्यक्रम में सहभाग कर वेदों की समग्रता पर अपना उद्बोधन दिया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि वेद, ऋषि-मुनियों के ज्ञान से युक्त भारतीय संस्कृति की अनमोल धरोहर है। वेदों में धार्मिक आस्थाओं की व्याख्या, उत्कृष्ट विचार, सिद्धांत और जीवन-दर्शन समाहित है जो समाज के कल्याण के लिए अत्यंत प्रेरणादायक है। वेद, एक धार्मिक ग्रंथ नहीं हैं, बल्कि यह हमारे जीवन के आदर्श मार्गदर्शक हैं। वेदों की शिक्षाएँ जीवन में सच्चे सुख, शांति, समृद्धि और समाज के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करती हैं। यह सिर्फ आत्मज्ञान की प्राप्ति का मार्ग नहीं, बल्कि समाज के कल्याण और विकास का भी सर्वाेत्तम साधन हैं। अब समय आ गया कि वेदभाषा, विश्व भाषा बने, वेदवाणी, विश्ववाणी बने क्योंकि वेद वाणी ही तो वसुधैव कुटुम्बकम् की वाणी है इसलिये वैदिक विसडम, वैश्विक विसडम् बने और वैदिक ज्ञान वैश्विक ज्ञान बने। इस ओर भारत के सारे वेद विद्वानों को कार्य करना होगा ताकि वेद भाषा जन-जन की भाषा बने और सर्व सुलभ हो सके जिससे ये सर्व हित वाले मंत्र सर्व सुलभ मंत्र बने और हम ’’वेब वल्र्ड से वेद वल्र्ड की ओर बढं़े’’। वेदों तो हमारे ज्ञान, शिक्षा और समृद्धि के प्रमुख साधन हैं। शिक्षा और ज्ञान से व्यक्ति न केवल आर्थिक बल्कि सामाजिक और आध्यात्मिक उन्नति भी प्राप्त करता है इसलिये स्वामी दयानंद सरस्वती जी जिन्हें पुनर्जागरण युग का हिंदू मार्टिन लूथर कहा जाता है, उन्होंने संदेश दिया कि वेदों की और लौटो और भारत की प्रभुता को समझो। उन्होंने समाज को अभिनव राष्ट्रवाद और धर्म सुधार के लिये तैयार किया। उनका मानना था कि आर्य समाज के कर्तव्य धार्मिक परिधि से कहीं अधिक व्यापक हैं। उन्होंने कहा कि व्यक्ति के जीवन का उद्देश्य लोगों के शारीरिक, सामाजिक और आध्यात्मिक कल्याण के लिये कार्य करना होना चाहिये। वेदों के सिद्धांतों का पालन करके हम अपने जीवन में समृद्धि और शांति प्राप्त कर सकते हैं। वेदों का मार्ग व मंत्र आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने प्राचीन समय में थे, और इन्हें अपनाकर प्रत्येक मनुष्य अपने जीवन को सफल और समृद्ध बना सकते हैं।

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