परमार्थ निकेतन, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, नमामि गंगे और अर्थ गंगा के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित पांच दिवसीय गंगा जी के प्रति जागरूकता और आरती कार्यशाला का समापन हुआ। इस विशेष कार्यशाला में गंगा जी के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए गंगा के तटों पर स्वच्छता अभियान चलाया गया और घाटों पर सात्विकता, स्वच्छता और सद्भाव बनाए रखने के विषय में भी प्रशिक्षण दिया गया।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
ऋषिकेश, 17 दिसम्बर। परमार्थ निकेतन, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, नमामि गंगे और अर्थ गंगा के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित पांच दिवसीय गंगा जी के प्रति जागरूकता और आरती कार्यशाला का समापन हुआ। इस विशेष कार्यशाला में गंगा जी के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए गंगा के तटों पर स्वच्छता अभियान चलाया गया और घाटों पर सात्विकता, स्वच्छता और सद्भाव बनाए रखने के विषय में भी प्रशिक्षण दिया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य गंगाजी के संरक्षण, स्वच्छता, और पवित्रता के महत्व के बारे में जनमानस में जागरूकता फैलाना है क्योंकि गंगा न केवल एक नदी है, बल्कि भारत के सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक जीवन का अभिन्न अंग है। आरती के साथ जागरूकता संदेशों को प्रसारित करना न केवल पर्यावरणीय दृष्टिकोण से बल्कि गंगा की स्वच्छता बनाये रखने के लिये भी जरूरी है। स्वामी चिदानंद सरस्वती जी ने कहा कि गंगाजी के जल की हर बंूद पवित्र है, और हम सभी का यह कर्तव्य है कि हम इसे स्वच्छ और सुरक्षित रखें। यह कार्यशाला सिखाती है कि न केवल हमें अपने व्यक्तिगत जीवन में स्वच्छता बनाए रखनी चाहिए, बल्कि समाज में भी जागरूकता फैलानी चाहिए ताकि गंगाजी का जल स्वच्छ व निर्मल बना रहे। स्वामी जी ने कहा कि गंगाजी न केवल एक नदी है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, सभ्यता और आस्था का प्रतीक है। गंगा आरती का उद्देश्य केवल पूजा नहीं, बल्कि गंगा के जल के प्रति आभार और उसके संरक्षण के प्रति समर्पण व्यक्त करना भी है इसलिये स्वच्छता अभियान को अपनी धार्मिक गतिविधियों का हिस्सा बनाएं। घाटों पर सफाई रखे, गंगाजी के आसपास कचरा न फेंके, स्वच्छ, सुन्दर व सात्विक वातावरण बनाये रखे।