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हमें धर्म के बारे में केवल ज्ञान ही नहीं प्राप्त करना चाहिए, बल्कि उसे अपने जीवन में भी लागू करना चाहिए : संरक्षक राजेंद्र व्यास


राजस्थान में केशव संगिनी सेवा न्यास द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन प्रसिद्ध कथावाचक डॉ. भारती व्यास द्वारा गोकर्ण की कथा का सुंदर वर्णन किया गया। उनके व्याख्यान ने श्रोताओं को भक्ति के सागर में डुबो दिया।

रिपोर्ट  - ANJANA BHATT

पुष्कर, राजस्थान में केशव संगिनी सेवा न्यास द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन प्रसिद्ध कथावाचक डॉ. भारती व्यास द्वारा गोकर्ण की कथा का सुंदर वर्णन किया गया। उनके व्याख्यान ने श्रोताओं को भक्ति के सागर में डुबो दिया। गोकर्ण की कथा: यह एक प्राचीन भारतीय पौराणिक कथा है जो भक्ति, त्याग और ईश्वर की कृपा पर आधारित है। डॉ. भारती ने इस कथा को इतनी सहजता और भावना के साथ सुनाया कि श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए। उन्होंने गोकर्ण के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला, जैसे कि उनकी भक्ति, उनके संघर्ष और अंततः उन्हें मोक्ष प्राप्त होना। डॉ. भारती के व्याख्यान ने श्रोताओं को गहराई से प्रभावित किया। कई श्रोताओं ने बताया कि इस कथा ने उन्हें अपने जीवन में भक्ति और धर्म के महत्व को समझने में मदद की है। श्री केशव संगिनी सेवा न्यास के संरक्षक राजेंद्र व्यास धर्म का महत्व बताते हुए कहा भागवत कथा का मूल उद्देश्य धर्म का प्रचार-प्रसार करना है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण के जीवन और लीलाओं के माध्यम से धर्म के मूल्यों को समझाया जाता है। व्यास जी का कहना है कि धर्म को केवल किताबों या कथाओं में ही नहीं पढ़ना चाहिए, बल्कि इसे अपने दैनिक जीवन में भी उतारना चाहिए। अपने व्यवहार में उतारना है। भागवत कथा हमें यह सिखाती है कि धर्म केवल मंदिरों में जाकर पूजा करने या व्रत रखने तक सीमित नहीं है। बल्कि यह हमारे दैनिक जीवन का एक अभिन्न हिस्सा होना चाहिए। हमें अपने विचारों, शब्दों और कर्मों में धर्म का पालन करना चाहिए। व्यास जी का कहना है कि हमें धर्म के बारे में केवल ज्ञान ही नहीं प्राप्त करना चाहिए, बल्कि उसे अपने जीवन में भी लागू करना चाहिए। हमें सत्य बोलना, दूसरों की सेवा करना, और सभी प्राणियों के प्रति करुणा का भाव रखना चाहिए। भागवत कथा हमें धर्म के महत्व को समझाती है और हमें एक अच्छा इंसान बनने के लिए प्रेरित करती है।

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