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आज तृतीय दिवस भक्ति एवं वेदांत की गंगा प्रवाहित हुई ।


आचार्य मोहन चेतन ने दी महाराज साधना सदन ने अपने मुखारविंद से वेदांत की चर्चा करते हुए कहा की उपनिषद को ही वेदांत कहा जाता है ।उपनिषद ब्रह्मविद्या को कहा जाता है दो प्रकार की विद्या होती है परा विद्या और अपरा विद्या ।

रिपोर्ट  - all news Bharat.com

आचार्य मोहन चेतन ने दी महाराज साधना सदन ने अपने मुखारविंद से वेदांत की चर्चा करते हुए कहा की उपनिषद को ही वेदांत कहा जाता है ।उपनिषद ब्रह्मविद्या को कहा जाता है दो प्रकार की विद्या होती है परा विद्या और अपरा विद्या । आत्मा को जानने वाला अपने स्वरूप में स्थित हो जाता है । अनुग्रह शक्ति के बिना जीव का कल्याण नहीं होता है निस्वार्थ व्यक्ति की प्रवृत्ति में परमात्मा की बहुत बड़ी कृपा छुपी रहती है। दर्पण की ही तरह संत का स्वरूप होता है । विद्वान सन्त एवं टाट वाले बाबा जी के परम शिष्य स्वामी विजयानंद जी महाराज ने कहा कि जिस स्थान को महापुरुष अपनाते हैं वही सफलता की राह बन जाता है ।सतगुरु सत्य के वक्ता होते हैं ।गुरु का वाक्य ही अकाट्य होता है। गरीब दासिय जी के आचार्य डॉक्टर हरिहरानंद जी ने वेदांत सम्मेलन में बोलते हुए कहा कि भजन क्या है? अपने आप में शांत होकर स्थिर हो जाना ही भजन है !जिसने दिया था उसने ले लिया यही वेदांत हैं। अहम के भाव को मिटाना ही वेदांत है आनंद के सुख का यही स्रोत है कि अपने आप से कामना रूपी समस्त गठरी को उतारकर एक तरफ फेंक दो ।अपनापन हटा दो तो सुख दुख का कारण ही समाप्त हो जाएगा ।मन के कारण ही बंधन और मोक्ष होता है। इस अवसर पर गरीब दासीय आश्रम के भागवताचार्य स्वामी रविदेव शास्त्री द्वारा शरीर के अंदर जो आत्मा है वह भी आकाश रूप है जिस प्रकार से आकाश को कुछ नहीं किया जा सकता जैसे आकाश निर्लेप है ठीक उसी प्रकार से आत्मा भी अजर अमर अविनाशी और सत्य है। गुरु के श्री चरणों में लोटपोट होने से यह आत्मबोध होना संभव होता है। साधना सदन के तपस्वी ब्रह्मचारी मोहन चैतन्य पुरी ने टाट वाले बाबा अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि समय आप का हीरा है अतः समय का सदुपयोग ही असंभव को भी संभव बना देता है। सतगुरु के चरणों में जाने से वह सब कुछ प्राप्त होता है अतः सतगुरु की चरणों की रज को मस्तक पर लगाने वाला ही शं टाट वाले बाबा के जी के परम शिष्य हरिहरानंद (भक्त )द्वारा गुरु की महिमा का बखान किया गया ।उन्होंने कहा यह शरीर नश्वर है और जिसने इस संसार में जन्म लिया है उसकी मृत्यु निश्चित है। मातृशक्ति की ओर से माता कृष्ण मयी मां, सुश्री महेशी देवी ,श्रीमती मधु गौड़ ,सुश्री भावना गौड़,रचना मिश्रा आदि द्वारा भी श्रृद्धा सुमन एवं भजन के द्वारा अपनी श्रद्धाजंलि अर्पित की गई। कार्यक्रम का सफल संचालन एस एम जेएनपीजी कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर सुनील कुमार बत्रा द्वारा किया गया। इस अवसर पर श्री गुरु चरण अनुरागी समिति के कार्यकारी अध्यक्ष श्रीमती रचना मिश्रा ,एस के बोहरा, विजय शर्मा ,सुनील सोनेजा, संजय कुमार बत्रा, विनोद अरोड़ा, मधु गौड़, सुश्री महेशी देवी, भावना गौड़,आनंद सागर, उदित गोयल, सुरेंद्र खत्री, योगेश अरोड़ा ,ईश्वर चंद तनेजा,स्वामी कन्हैया लाल, रमा बोहरा,अनिल गौड़ डॉ अशोक पालीवाल ,हरिराम कुमार पूर्व सभासद राज दुलारी, माता सुषमा चंदवानी, मीनू गौड़, मोना अरोड़ा ,नंदलाल सोनेजा किशन चंद, गुलशन अरोड़ा ,आनंद सागर, रश्मि शर्मा ,डॉ रमेश गोयल श्रीमती राज चड्ढा ,ओमी ,रामकृष्ण गुलर वाले, कुक्कू, रमेश ,जानू देवी ,उमा बर्मन आदि अनेकों श्रृद्धालु गण उपस्थित रहे।

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