तà¥à¤²à¤¸à¥€ जयंती के अवसर पर संत समाज दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ रामानंद आशà¥à¤°à¤® से तà¥à¤²à¤¸à¥€ चैक तक à¤à¤µà¥à¤¯ शोà¤à¤¾à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤°à¤¾ निकाली गई। जिसके बाद विधि-विधान पूरà¥à¤µà¤• गोसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤¦à¤¾à¤¸ का पूजन कर विशà¥à¤µ कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ की कामना की गई। संतों ने अपने विचार रखते हà¥à¤ कहा गोसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤¦à¤¾à¤¸ ने मां गंगा को करà¥à¤£à¤¾, सतà¥à¤¯, पà¥à¤°à¥‡à¤® और मनà¥à¤·à¥à¤¯à¤¤à¤¾ की धाराओं में वरà¥à¤—ीकृत किया।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
हरिदà¥à¤µà¤¾à¤°, 16 अगसà¥à¤¤à¥¤ तà¥à¤²à¤¸à¥€ जयंती के अवसर पर संत समाज दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ रामानंद आशà¥à¤°à¤® से तà¥à¤²à¤¸à¥€ चैक तक à¤à¤µà¥à¤¯ शोà¤à¤¾à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤°à¤¾ निकाली गई। जिसके बाद विधि-विधान पूरà¥à¤µà¤• गोसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤¦à¤¾à¤¸ का पूजन कर विशà¥à¤µ कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ की कामना की गई। संतों ने अपने विचार रखते हà¥à¤ कहा गोसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤¦à¤¾à¤¸ ने मां गंगा को करà¥à¤£à¤¾, सतà¥à¤¯, पà¥à¤°à¥‡à¤® और मनà¥à¤·à¥à¤¯à¤¤à¤¾ की धाराओं में वरà¥à¤—ीकृत किया। जिनमें अवगाहन करके कोई à¤à¥€ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ अपने आचरण को गंगा की तरह पवितà¥à¤° कर सकता है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मनà¥à¤·à¥à¤¯ के संसà¥à¤•à¤¾à¤° की कथा लिखकर राम कावà¥à¤¯ को संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का पà¥à¤°à¤¾à¤£ ततà¥à¤µ बना दिया। जिसके बिना जीवन जीने की कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ à¤à¥€ सदà¥à¤—à¥à¤£à¥€ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ नहीं कर सकता। à¤à¤¸à¥‡ महान महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ को संत समाज सदैव नमन करता है। बाबा हठयोगी महाराज ने कहा कि गोसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤¦à¤¾à¤¸ हिंदी साहितà¥à¤¯ के महान संत à¤à¤µà¤‚ कवि थे। जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¤—वान शिव और माता पारà¥à¤µà¤¤à¥€ के मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤¨ से अपने जीवन में सगà¥à¤£ राम à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ की धारा को à¤à¤¸à¤¾ पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ किया कि वह धारा वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में à¤à¥€ पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ हो रही है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने राम à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ ना केवल अपना जीवन कृतारà¥à¤¥ किया अपितॠजन-जन को शà¥à¤°à¥€à¤°à¤¾à¤® के आदरà¥à¤¶à¥‹à¤‚ से बांधने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया। शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त विषà¥à¤£à¥ दास महाराज ने कहा कि गोसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤¦à¤¾à¤¸ à¤à¤• महान दारà¥à¤¶à¤¨à¤¿à¤• थे। जिनके जीवन से पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ लेकर पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को समाज कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ à¤à¤µà¤‚ मानव सेवा के लिठअपना सहयोग पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करना चाहिà¤à¥¤ गोसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤¦à¤¾à¤¸ की ही देन है जिससे à¤à¤¾à¤°à¤¤ के कोने कोने में रामलीला का मंचन होता है, और समूचे विशà¥à¤µ में शà¥à¤°à¥€ राम का चरितà¥à¤° मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ जीवन जीने का संदेश देता है। उनका पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾à¤¦à¤¾à¤ˆ जीवन सदैव ही समाज का मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤¨ करता रहेगा। महंत पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤¦à¤¾à¤¸ à¤à¤µà¤‚ महंत रघà¥à¤µà¥€à¤° दास महाराज ने कहा कि अपनी रचनाओं के माधà¥à¤¯à¤® से गोसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤¦à¤¾à¤¸ ने समाज को पà¥à¤°à¥‡à¤® सदà¥à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ और à¤à¤¾à¤ˆà¤šà¤¾à¤°à¥‡ का संदेश दिया। पà¥à¤°à¤à¥ शà¥à¤°à¥€à¤°à¤¾à¤® के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ समरà¥à¤ªà¤£ और पà¥à¤°à¥‡à¤® की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ उनके जीवन का मà¥à¤–à¥à¤¯ आधार रही है। हम सà¤à¥€ को उनके जीवन से पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ लेते हà¥à¤ सतà¥à¤¯ के मारà¥à¤— पर चलने की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ है। गोसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤¦à¤¾à¤¸ ने रामकथा में ना केवल सà¥à¤–द समाज की कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ की बलà¥à¤•à¤¿ जीवन जीने का आदरà¥à¤¶ मारà¥à¤— à¤à¥€ दिखाया। कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® में पधारे सà¤à¥€ संत महापà¥à¤°à¥‚षों का रामलखन दास तà¥à¤¯à¤¾à¤—ी महाराज ने फूलमाला पहनाकर सà¥à¤µà¤¾à¤—त किया। इस दौरान महंत पà¥à¤°à¤¹à¥à¤²à¤¾à¤¦ दास, महंत दà¥à¤°à¥à¤—ादास, महंत पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤¦à¤¾à¤¸, महंत राजेंदà¥à¤° दास, महंत सूरज दास, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदविलासनंद, राधेराम शरà¥à¤®à¤¾, दà¥à¤°à¥à¤—ादशंकर, राम निवास, सतà¥à¤¯à¤¨à¤¾à¤°à¤¾à¤¯à¤£, देवराज, सतà¥à¤¯à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶, सदानंद, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जगदीशानंद गिरी, महंत सà¥à¤®à¤¿à¤¤ दास, महंत नारायण दास पटवारी, महंत बिहारी शरण, महंत अंकित शरण, महंत पà¥à¤°à¤®à¥‹à¤¦ दास, संत जगजीत सिंह, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ हरिहरानंद, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ रविदेव शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€, आदि सहित बड़ी संखà¥à¤¯à¤¾ में संत महंत मौजूद रहे।