शà¥à¤°à¥€ विषà¥à¤£à¥ चैतनà¥à¤¯ वृधà¥à¤¦à¤¾à¤¶à¥à¤°à¤® के पावन पà¥à¤°à¤¾à¤‚गण में आयोजित पावन पà¥à¤°à¤œà¥à¤žà¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤£ की कथा पंडित शà¥à¤°à¥€à¤°à¤¾à¤® शरà¥à¤®à¤¾ आचारà¥à¤¯ जी के वरिषà¥à¤ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ कथा वाचक अशोक कà¥à¤®à¤¾à¤° गरà¥à¤— यà¥à¤— पà¥à¤°à¤¹à¤°à¥€ ने संगीत मय पावन पà¥à¤°à¤œà¥à¤žà¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤£ कथा का वाचन करते हà¥à¤ कहा कि महरà¥à¤·à¤¿ धौमà¥à¤¯ का आशà¥à¤°à¤® गंगा तट पर था।
रिपोर्ट - आल नà¥à¤¯à¥‚ज़ à¤à¤¾à¤°à¤¤
आज दिनांक १९/११/२१ दिन शà¥à¤•à¥à¤°à¤µà¤¾à¤° को शà¥à¤°à¥€ विषà¥à¤£à¥ चैतनà¥à¤¯ वृधà¥à¤¦à¤¾à¤¶à¥à¤°à¤® के पावन पà¥à¤°à¤¾à¤‚गण में आयोजित पावन पà¥à¤°à¤œà¥à¤žà¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤£ की कथा पंडित शà¥à¤°à¥€à¤°à¤¾à¤® शरà¥à¤®à¤¾ आचारà¥à¤¯ जी के वरिषà¥à¤ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ कथा वाचक अशोक कà¥à¤®à¤¾à¤° गरà¥à¤— यà¥à¤— पà¥à¤°à¤¹à¤°à¥€ ने संगीत मय पावन पà¥à¤°à¤œà¥à¤žà¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤£ कथा का वाचन करते हà¥à¤ कहा कि महरà¥à¤·à¤¿ धौमà¥à¤¯ का आशà¥à¤°à¤® गंगा तट पर था।कारà¥à¤¤à¤¿à¤• पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ के पà¥à¤£à¥à¤¯ अवसर परà¤à¤¾à¤°à¤¤ के कौने -कौने से गृहसà¥à¤¥ परिवार महरà¥à¤·à¤¿ धौमà¥à¤¯ के सतà¥à¤¸à¤‚ग मंडप में पधारे।वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ पीठपर विराजमान महरà¥à¤·à¤¿ धौमà¥à¤¯ ने गृहसà¥à¤¥à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ की पारिवारिक, सामाजिक समसà¥à¤¯à¤¾ आधà¥à¤¨à¤¿à¤• काल की समसà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ काल की समसà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥‹à¤‚ से अलग है।शिकà¥à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ में विकार आ गये हैं।सारा देश विसंगतियों में फंसा हà¥à¤† है। परिवारों में कलह हों रहें हैं,वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ का आचरण à¤à¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿ हो रहा है। तो à¤à¤¸à¥‡ समय में आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• चिंतन तथा करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का बोध कराना आवशà¥à¤¯à¤• है। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि कोई à¤à¥€ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ संत,समाज सà¥à¤§à¤¾à¤°à¤•, इंजीनियर, डाकà¥à¤Ÿà¤°, कलेकà¥à¤Ÿà¤°,मासà¥à¤Ÿà¤° बाद में है, पहले वह किसी परिवार का सदसà¥à¤¯ है। सà¥à¤¨à¤•à¤° सबकी आतà¥à¤° वाणी,बोले ऋरà¥à¤·à¤¿à¤µà¤° मà¥à¤¸à¥à¤•à¤°à¤¾ करके। है à¤à¤¦à¥à¤° जनों!चिनà¥à¤¤à¤¾ छोड़ो,तà¥à¤® सà¥à¤¨ लो धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ लगा करके।। चारों आशà¥à¤°à¤® में सरà¥à¤µà¤¶à¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ ,यह गृहसà¥à¤¥à¤¾à¤¶à¥à¤°à¤® कहलाता है। यदि है परिवार सà¥à¤¸à¤‚सà¥à¤•à¥ƒà¤¤ तो, परिवार सà¥à¤µà¤°à¥à¤— बन जाता है।। वेद शासà¥à¤¤à¥à¤° उपनिषद सà¤à¥€ इसकी महिमा को गाते हैं।है धनà¥à¤¯ गृहसà¥à¤¥ आशà¥à¤°à¤® कहकर ,इसे देव ऋरà¥à¤·à¤¿ अपनाते हैं। यही गृहसà¥à¤¥ जीवन का , है पà¥à¤¨à¥€à¤¤ अनà¥à¤·à¥à¤ ान। यह परिवार परंपरा, है रतà¥à¤¨à¥‹à¤‚ की खान।। धौमà¥à¤¯ ऋरà¥à¤·à¤¿ समà¤à¤¾ रहे हैं कि गृहसà¥à¤¥à¤¾à¤¶à¥à¤°à¤® जीवन का पवितà¥à¤° अनà¥à¤·à¥à¤ ान है। गृहसà¥à¤¥ à¤à¤• तपोवन है , जिसमें संयम , सेवा ओर सहिषà¥à¤£à¥à¤¤à¤¾ की साधना करनी चाहिà¤à¥¤ आतà¥à¤®à¥€à¤¯à¤¤à¤¾ का विसà¥à¤¤à¤¾à¤° होता है।सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ पर अंकà¥à¤¶ लगता है आतà¥à¤® संयम, परोपकार,तà¥à¤¯à¤¾à¤— की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ का उदय होता है। माता - पिता,पति--पतà¥à¤¨à¤¿ तथा संतान के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ जो शà¥à¤°à¤§à¥à¤¦à¤¾, समरà¥à¤ªà¤£,सà¥à¤¨à¥‡à¤¹ होता है। यही à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ विकसित होकर मनà¥à¤·à¥à¤¯ को महामानव बना देती है। धनà¥à¤¯à¥‹ गृहसà¥à¤¥à¤¾à¤¶à¥à¤°à¤®'' कहकर महापà¥à¤°à¤¾à¤œà¥à¤ž कहते हैं कि समाज को सà¥à¤¨à¤¾à¤—रिक देने की खान ही परिवार। à¤à¤•à¥à¤¤, जà¥à¤žà¤¾à¤¨, पंडित,विवà¥à¤¦à¤¾à¤¨ संत,समाज सà¥à¤§à¤¾à¤°à¤• जितने à¤à¥€ महापà¥à¤°à¥à¤· हà¥à¤ हैं वे सब परिवार की फà¥à¤²à¤µà¤¾à¤°à¥€ के सà¥à¤—ंधित पà¥à¤·à¥à¤ª हैं। जिससे सारा विशà¥à¤µ महकता है। परिवार à¤à¤• लघॠराषà¥à¤Ÿà¥à¤° है।