आनन्दमयी पुरम दक्ष रोड़ कनखल स्थित श्री महर्षि ब्रह्महरि उदासीन आश्रम में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन श्रद्धालुओं को श्रीेकृष्ण के जन्म की कथा का श्रवण कराते हुए कथाव्यास स्वामी रविदेव शास्त्री ने कहा कि जब-जब भी धरती पर आसुरी शक्तियों का प्रभाव बढ़ता है।
रिपोर्ट - Rameshwar Gaur
हरिद्वार, 6 जून। आनन्दमयी पुरम दक्ष रोड़ कनखल स्थित श्री महर्षि ब्रह्महरि उदासीन आश्रम में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन श्रद्धालुओं को श्रीेकृष्ण के जन्म की कथा का श्रवण कराते हुए कथाव्यास स्वामी रविदेव शास्त्री ने कहा कि जब-जब भी धरती पर आसुरी शक्तियों का प्रभाव बढ़ता है। भगवान अवतार लेकर पृथ्वी पर धर्म की स्थापना करते हैं। मथुरा में कंस के अत्याचारों से परेशान धरती की करुण पुकार सुनकर भगवान नारायण ने कृष्ण के रुप में देवकी के आठवें पुत्र के रूप में जन्म लिया और कंस का अंत कर धर्म और प्रजा की रक्षा की। उन्होंने कहा कि जीवन में भागवत कथा सुनने का अवसर सौभाग्य से मिलता है। इसलिए इस अवसर का लाभ अवश्य उठाना चाहिए। लेकिन कथा का सुनना तभी सार्थक होगा। जब कथा में बताए हुए धर्म मार्ग पर चलकर परमार्थ का काम करें। आश्रम के परमाध्क्ष श्रीमहंत दामोदर शरण महाराज ने श्रद्धालु भक्तों के श्रीमद्भावगत कथा की महिमा से अवगत कराते हुए कहा कि परम् कल्याणकारी है। कथा से प्राप्त ज्ञान से कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है। सुख समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है। कथा संयोजक महंत अमृतमुनि महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा कल्पवृक्ष के समान है। जिसे सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है। कथा से मिले ज्ञान को आचरण में धारण कर लिया जाए तो सभी कार्य संभव हो जाते हैं। भागवत कथा का श्रवण करने मात्र से ही जीवन भवसागर से पार हो जाता है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में श्रीमद्भावगत कथा का आयोजन और श्रवण अवश्य करना चाहिए। इस अवसर पर महंत राघवेंद्र दास, महंत अमृतमुनि, महंत प्रेमदास, महंत जयेंद्र मुनि, स्वामी हरिहरांनद, महंत गोविंददास, महंत गंगादास, स्वामी दिनेश दास, महंत जसविंदर सिंह, महंत निर्भय सिंह, महंत कैलाशानंद, महंत सुतिक्ष्ण मुनि, पदम प्रकाश सुवेदी सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त मौजूद रहे।