दरअसल ये पंक्तियां तब याद आती है। जब 31 जुलाई को केदारनाथ जाने वाले रास्तों ने आपदा के बादल ने कई बहनों के भाई छीने लिये और कहीं माताओ के बेटे ,लेकिन ,सत्ता में बैठे सफेद पोशाक धारीयो को इसका कहां मलाल।
रिपोर्ट - भानु भट्ट
रुद्रप्रयाग, कौन सुनेगा किसको सुनाएं इसलिए चुप रहते हैं,. दरअसल ये पंक्तियां तब याद आती है। जब 31 जुलाई को केदारनाथ जाने वाले रास्तों ने आपदा के बादल ने कई बहनों के भाई छीने लिये और कहीं माताओ के बेटे ,लेकिन ,सत्ता में बैठे सफेद पोशाक धारीयो को इसका कहां मलाल.. उन्हें तो वी0वी0आई0पी0यों को मंदिर पहुँचने के लिये हेलीकोप्टर से पहुंचाई जा रही है पहले थार औऱ अब ग्लोफ कार।