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भारत, नारों के बल पर नहीं, विचारों के बल पर जीता है - स्वामी चिदानन्द सरस्वती


सबकी धारणा करने वाला, सबको एक करने वाला, सबको देने के लिये, परोपकार करने वाला ही सनातन धर्म है। सृष्टि पर धर्म व अधर्म दोनों ही हैं। धर्म जानकारी से नहीं, आचरण से प्राप्त होता है।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

चित्रकूट, 6 नवम्बर। चित्रकूट में आयोजित तीन दिवसीय श्रीरामकिंकर महाराज जन्म शताब्दी समारोह में सरसंघचालक, आधुनिक वैज्ञानिक, ऋषि डॉ. मोहन भागवत जी, श्रद्धेय पूज्य मोरारी बापू, श्रद्धेय पूज्य स्वामी चिदानंद सरस्वती , महर्षि उत्तम स्वामी जी और अन्य पूज्य संतों व विशिष्ट विभूतियों ने सहभाग किया। श्री रामकिंकर जी महाराज जन्म शताब्दी समारोह का दिव्य व भव्य आयोजन स्वामी मैथिलीशरण जी महाराज के कुशल नेतृत्व, मार्गदर्शन व संरक्षण में आयोजित किया गया। माननीय सरसंघचालक, आधुनिक वैज्ञानिक, ऋषि डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि मन व मनुष्य की स्वाभाविक गति नीचे की ओर है, इसलिये ऊपर जाने का प्रयत्न करना होगा। भारत ने हमेशा से ही सुख को बाहर नहीं, अंदर खोजा है। हमारी रंग, रूप, वेशभूषा अलग-अलग है परन्तु हम सभी एक हैं और यही हमारी विशेषता है। सबकी धारणा करने वाला, सबको एक करने वाला, सबको देने के लिये, परोपकार करने वाला ही सनातन धर्म है। सृष्टि पर धर्म व अधर्म दोनों ही हैं। धर्म जानकारी से नहीं, आचरण से प्राप्त होता है। रामायण व महाभारत दोनों ही सर्वव्यापी ग्रंथ हैं। महाभारत हमें दुनिया कैसी है यह दिखाता है और रामायण हमें दुनिया में कैसे रहना है यह दिखाता है। कलयुग के समय में जो अपने में सतयुग लाकर चलते हैं, वे श्री रामकिंकर जी जैसे महापुरुष होते हैं। कथा से जीवन को उन्नत करने वाला सार प्राप्त होता है। कथाएँ श्रद्धालुओं को आचरण प्रदान करती हैं, जीवन में परिवर्तन करती हैं। सत्य कभी दबता या मरता नहीं बल्कि वह खड़ा होकर बोलता है। विश्व में कोई युद्ध न हो, इसलिये सभी के हृदयों को अयोध्या बनना होगा। भारत में महापुरुषों व पूज्य संतों की अखंड परम्परा हमें प्राप्त हो रही है। इस दिव्य समारोह में मैं आकर पावन हो गया, यहां पर पूज्य संतों का पावन सान्निध्य प्राप्त हुआ।

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