हर्षोल्लास के साथ मनाया शरद पूर्णिमा उत्सव


हरिद्वार 17 ऑक्टोबर। शरद ऋतु के प्रारंभ के अवसर शरद पूर्णिमा पर बुधवार को सोलह कलाओं से पूर्ण हुए चंद्रमा ने आरोग्यदायी किरणें बरसाईं इस अवसर पर हरिद्वार में निवास रत गुजराती समुदाय से जुड़े गुजरतीओ के द्वारा शरद पूर्णिमा के अवसर पर गरबा का आयोजन उमिया धाम हरिपुर में पारम्परिक वेश भूषा के साथ सम्प्पन हुआ।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार 17 ऑक्टोबर। शरद ऋतु के प्रारंभ के अवसर शरद पूर्णिमा पर बुधवार को सोलह कलाओं से पूर्ण हुए चंद्रमा ने आरोग्यदायी किरणें बरसाईं इस अवसर पर हरिद्वार में निवास रत गुजराती समुदाय से जुड़े गुजरतीओ के द्वारा शरद पूर्णिमा के अवसर पर गरबा का आयोजन उमिया धाम हरिपुर में पारम्परिक वेश भूषा के साथ सम्प्पन हुआ। कार्यक्रम के दौरान समाज की ओर से सर्वप्रथम मां उमिया सहित अन्य देवी-देवता की पूजा-अर्चना की गई। इसके बाद समाज के बच्चे, बूढ़े, जवान, महिला और पुरुष पारंपरिक गुजराती परिधानों से सुसज्जित होकर रास गरबा किया।इस मौके पर लोगों ने महालक्ष्मी को भोग लगाकर खीर खुले आसमान पर किरणों से संग्रह के लिए रखी और सेवन किया। सभी समाज जनों द्वारा एक दूसरे को पूर्णिमा की बधाई प्रेषित की। कहते है की कहना है कि शरद पूर्णिमा के रात्रि को चन्द्रमा की किरणों से अमृत झड़ता है तभी तो इस दिन खीर बनाकर रात भर चाँदनी में रखने का विधान है एवं प्रसाद के रूप में लेते हैं।और इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था। इस दौरान डांडिया की खनक पर समाज के लोग देर रात तक नृत्य करते रहे। इसके बाद पूनम नवरात..., चाचक चौक मां तू गरबे रे घूमती गुदड़ी परी ने मां सरस्वती.... मुरली क्यों रे बगाड़ी... आदि गीत पर पुरुष व महिलाएं जमकर थिरकती रहीं। गरबा के बज रहे मधुर संगीत की धुन पर मौके पर उपस्थित लोगों अपने आप को नृत्य करने से रोक नहीं पा रहे थे। इस दौरान उमिया धाम का माहौल पूरी तरह से गुजराती रंग में रंग गया था। नवरात्रों के बाद शरद पूर्णिमा को अंतिम गरबा का आयोजन होता है। धर्मनगरी हरिद्वार का अद्भुत गुजराती रंग अपने आप में बहुत ही मनमोहक होता है, अपनी भूमि से कोसों दूर रहने के बाद भी अपनी संस्कृति एवं परंपरा को आगे बढ़ाने की सोच के साथ हरिद्वार में रहने वाला गुजराती समाज इस विशेष शारदीय पूर्णिमा कार्यक्रम का आयोजन करता है। इनमें राजेश पाठक ,लक्ष्मण भाई , , पवन भाई , लहर भाई ,प्रितेश भाई, मोंटूभाई ,मिलनभाई , कीर्तन भाई देसाई, ,शांतिभाई ,राजेश प्रजापति ,सुनील भाई वीर धाम के कनुभाई,वही देहरादून ,ऋषिकेश से बड़ी संख्या में गुजराती इस रास गरबा का आयोजन में भाग लिया। आयोजन का समापन ३ वर्षीय माहि पाठक द्वारा शिव वंदना के साथ पूर्ण किए गया।

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