अटूट भक्ति और जनसेवा का नया अध्याय लिखने वाले महान शासक छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर उन्हें शत्-शत् नमन


परमार्थ निकेतन शिविर, प्रयागराज में आयोजित चाद दिवसीय कीवा कुम्भ, एक अद्वितीय सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महोत्सव, जिसमें विश्व के पांच महाद्वीपों से आदिवासी और जनजाति समुदायों के प्रमुख लीडर्स ने सहभाग कर भारत की धरती पर एक ऐतिहासिक अध्याय रचा।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

प्रयागराज, 19 फरवरी। परमार्थ निकेतन शिविर, प्रयागराज में आयोजित चाद दिवसीय कीवा कुम्भ, एक अद्वितीय सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महोत्सव, जिसमें विश्व के पांच महाद्वीपों से आदिवासी और जनजाति समुदायों के प्रमुख लीडर्स ने सहभाग कर भारत की धरती पर एक ऐतिहासिक अध्याय रचा। कीवा कुम्भ में आज के ऐतिहासिक अवसर पर पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, टिम कर्टिस, यूनेस्को के दक्षिण एशिया के लिए नई दिल्ली क्षेत्रीय कार्यालय के निदेशक और भूटान, भारत, मालदीव और श्रीलंका में यूनेस्को के प्रतिनिधि, डा. साध्वी भगवती सरस्वती जी, पुलिस कमिश्नर प्रयागराज, श्री तरूण गाबा जी, कमिश्नर प्रयागराज, विजय विश्वास पंत जी, मुख्य विकास अधिकारी, प्रयागराज श्री गौरव कुमार जी और अन्य अधिकारियों की गरिमामयी में पांच महाद्वीपों से आये आदिवासी/जनजाति लीडर्स ने कीवा के माध्यम से धरती माता के संरक्षण की पूजा अर्चना की परम्पराओं को साझा किया और पूरी दुनिया में एकता, सौहार्द और शांति हेतु प्रार्थना की। कीवा कुम्भ, जो अपने आप में एक अद्वितीय आयोजन है, केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि विश्वभर के विभिन्न देशों, संस्कृतियों, धरती माता और प्राकृतिक संसाधनों के बीच संवाद और समझ को बढ़ाने का एक शक्तिशाली माध्यम है। इस कुम्भ में पांच महाद्वीपों से आये जनजाति समुदायों के लीडर्स ने एक साथ संगम में स्नान किया और भारत की धरती को अपनी श्रद्धा अर्पित की। यह आयोजन न केवल आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण था, बल्कि यह वैश्विक सांस्कृतिक समागम का भी प्रतीक है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने संगम तट से कीवा कुम्भ के माध्यम से ’’संगम की धरती से पूरे ब्रह्मण्ड का संगम’’ का विशेष संदेश प्रसारित किया। महाकुम्भ में दुनिया भर से आए जनजाति/आदिवासी लीडर्स और श्रद्धालुओं ने ‘धरती माता’ की प्रार्थना की जो पर्यावरण संरक्षण, पृथ्वी माता के सतत विकास, और मानवता की एकता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। कीवा में प्रज्वलित अग्नि एकता और साझा आस्था का प्रतीक है जो सभी को एक साथ जुड़ने की प्रेरणा देती है।

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