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आस्था बनाम सियासत पर गरमाई बहस


प्रयागराज में चल रहा महाकुंभ अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुका है। करीब 58 करोड़ श्रद्धालुओं ने इसमें डुबकी लगाई, लेकिन इसके साथ सियासत भी तेज हो गई। हाल ही में ममता बनर्जी के बयान को लेकर विवाद खड़ा हो गया, जिस पर कई वरिष्ठ पत्रकारों ने "खबरों के खिलाड़ी" कार्यक्रम में चर्चा की।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

प्रयागराज में चल रहा महाकुंभ अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुका है। करीब 58 करोड़ श्रद्धालुओं ने इसमें डुबकी लगाई, लेकिन इसके साथ सियासत भी तेज हो गई। हाल ही में ममता बनर्जी के बयान को लेकर विवाद खड़ा हो गया, जिस पर कई वरिष्ठ पत्रकारों ने "खबरों के खिलाड़ी" कार्यक्रम में चर्चा की।  समीर चौगांवकर – ममता बनर्जी का बयान उनकी राजनीति का हिस्सा है। उन्होंने अपने वोट बैंक को साधने के लिए ऐसा कहा। विनोद अग्निहोत्री – कुंभ हर 12 साल में होता है, लेकिन इस बार इसे राजनीतिक औजार बनाया गया। ममता को ऐसा बयान नहीं देना चाहिए था। अवधेश कुमार – कुंभ के दौरान हुई भगदड़ प्रशासन की नाकामी थी, लेकिन इसे पूरी तरह कुंभ से जोड़ना सही नहीं है।  राकेश शुक्ल – विपक्ष को सवाल उठाने का हक है, लेकिन सवाल एकतरफा नहीं होने चाहिए। पूर्णिमा त्रिपाठी – कुंभ पर राजनीति हर सरकार ने की है। लेकिन प्रशासन को सिर्फ प्रचार नहीं, बल्कि व्यवस्थाओं पर भी ध्यान देना चाहिए।  रामकृपाल सिंह – ममता बनर्जी का बयान हताशा का परिणाम है। उनका वोट बैंक खिसकने का डर उन्हें ऐसा कहने पर मजबूर कर रहा है। महाकुंभ आस्था का विषय है, लेकिन इस बार यह राजनीति का केंद्र बिंदु बन गया है।

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