बल, बुद्धि एवं विद्या का अनमोल संगम शारीरिक शिक्षा है। जहां बल के लिए दैनिक श्रम, बुद्धि की प्रखरता के लिए संतुलन युक्त भोजन एवं विद्या के लिए व्यवहार एवं आचरण मे शुद्धता का होना शारीरिक शिक्षा का लक्ष्य तथा दिशा मे निहित है।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
बल, बुद्धि एवं विद्या का अनमोल संगम शारीरिक शिक्षा है। जहां बल के लिए दैनिक श्रम, बुद्धि की प्रखरता के लिए संतुलन युक्त भोजन एवं विद्या के लिए व्यवहार एवं आचरण मे शुद्धता का होना शारीरिक शिक्षा का लक्ष्य तथा दिशा मे निहित है। गुरूकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय के योग एवं शारीरिक शिक्षा संकाय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ0 शिवकुमार चौहान ने बी0पी0एड0 द्वितीय सेमेस्टर के प्रशिक्षु छात्रों के संग संवाद मे यह बात कही। दयानंद स्टेडियम प्रांगण मे ‘समस्या समाधान मे छात्रों संग संवाद’ विषय पर बोलते हुये डॉ0 शिवकुमार चौहान ने कहा कि स्वास्थ्य एवं सक्रिय जीवन यापन की चाहत रखने वाले युवाओं के लिए शारीरिक शिक्षा एक बेहतर विकल्प है, जो दैनिक जीवन के नियमित व्यवहार मे बदलाव से सम्भव है। परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम 2025 मे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पोषण को लेकर युवा पीढ़ी के छात्रों को अधिक जागरूक एवं स्वावलंबी बनाने पर जोर दिया है। डॉ0 चौहान ने प्रधानमंत्री मोदी की भावनाओं से प्रेरित होकर प्रशिक्षु छात्रों को स्पोर्ट्स न्यूट्रिशन के माध्यम से न्यूट्रिशन-कब, कहाँ और कैसे पर विस्तार से चर्चा की। युवा पीढ़ी मे न्यूट्रिशन को लेकर बढ़ता अंतर, स्वास्थ्य के लिए चुनौती बनता देखा जा सकता है। संतुलित आहार के नाम से कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन, वसा तथा मिनरल आज सबसे अलग तथा ज्यादा खर्च वाले आहार के रूप मे देखा जा रहा है। जिसकी पूर्ति केवल संसाधन युक्त लोगों के द्वारा ही प्राप्त हो सकती है। डॉ0 शिवकुमार चौहान ने कहा कि इस मिथक को बदलने के लिए युवा पीढ़ी के साथ संवाद की जरूरत है। स्वास्थ्य को लेकर संतुलित आहार तथा जीभ एवं पेट के बीच बढते अंतर को कम करना जरूरी है। वर्तमान युवा पीढ़ी इसके लिए चुनौती के दौर से गुजर रही है। कम शब्दों मे कहा जाये तो जीभ को जो पसंद है वह पेट को पसन्द नही तथा पेट को जो पसंद है, वह जीभ को पसंद नहीं है। समय के अनुसार प्रोटीन के प्रति बढते रूझान मे सप्लीमेंट का असर तथा विटामिन के प्रति कम सक्रियता से युवा पीढ़ी के बेहतर स्वास्थ्य की संकल्पना संभव नहीं हो सकती है। स्वास्थ्य के प्रति समाधान प्रस्तुत करते हुए डॉ0 चौहान ने कहा कि परम्परागत भोजन जैसे मिलेटस का उपयोग, अंकुरित भोजन, मौसमी फल-सब्जियों का अधिक उपयोग के साथ भोजन मे समय की मर्यादा का पालन करके बेहतर स्वास्थ्य तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने मे मदद मिल सकती है। संवाद कार्यक्रम मे आकाश चौधरी, अक्षय पन्त, आयुष कण्डवाल, कुलदीप कुमार, रवि शंकर रॉय, वैभव त्यागी, विकास पाल, यश डोबरियाल आदि प्रशिक्षु छात्र उपस्थित रहे।