आजाद भारत का पहला कुंभ प्रयागराज में साल 1954 में लगा और कुंभ में देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद लगाई थी संगम में डुबकी


1954 में कुंभ के आयोजन की तैयारियां शुरू कर दी गई थीं. इस कुंभ में देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद भी शामिल हुए थे. प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने मौनी अमावस्या के दिन संगम के तट पर स्नान किया था. इसी दौरान एक हाथी के कंट्रोल से बाहर होने के बाद हादसा हुआ था. बताया जाता है कि इसमें 500 लोगों की जान गई थी. तभी से कुंभ में हाथी के आने पर रोक लगा दी गई थी.

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

प्रयागराज में आजादी से पहले भी अंग्रेजी सरकार की ओर से कुंभ, अर्धकुम्भ और माघ मेला आयोजित किया जाता था. अंग्रेजी शासक हिंदू धर्म के बारे में ज्यादा नहीं जानते थे। वे कुंभ मेले को एक अंधविश्वासपूर्ण गतिविधि मानते थे। इतने बड़े समागम में लोगों के एकत्र होने से कानून व्यवस्था बिगड़ने का डर रहता था, इसलिए वे सुरक्षा के लिहाज से सतर्क रहते थे। इस दौरान इंग्लैंड से ऑफिसर आते थे, जो मेले का प्रबंधन देखते थे. वहीं आजाद भारत में पहले कुंभ के आयोजन की बात करें तो ये मेला प्रयागराज में लगा था. आजाद भारत का पहला कुंभ प्रयागराज में साल 1954 में लगा था. इस कुंभ के आयोजन की तैयारियां शुरू कर दी गई थीं. इस कुंभ में देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद भी शामिल हुए थे. प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने मौनी अमावस्या के दिन संगम के तट पर स्नान किया था. इसी दौरान एक हाथी के कंट्रोल से बाहर होने के बाद हादसा हुआ था. बताया जाता है कि इसमें 500 लोगों की जान गई थी. तभी से कुंभ में हाथी के आने पर रोक लगा दी गई थी. वीआईपीजी की एंट्री पर रोक...इतना ही नहीं इसी हादसे के बाद प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने मुख्य स्नान पर्वों पर वीआईपीज के संगम में जाने पर रोक का आदेश दे दिया था. आज भी अर्द्धकुम्भ, कुंभ और महाकुंभ के मुख्य स्नान पर्वों पर वीआईपीज की एंट्री पर रोक बरकरार है. आजादी के बाद प्रयागराज में लगे इस कुंभ में 12 करोड़ लोग शामिल हुए थे. कुंभ की तैयारियों का जायजा उस समय के यूपी के सीएम गोविंद बल्लभ पंत ने नाव पर और पैदल चलकर लिया था. बताया जाता है कि इस कुंभ में श्रद्धालुओं के इलाज के लिए संगम किनारे सात अस्थाई अस्पताल बनवाए गए थे. भूले भटकों को मिलाने और भीड़ को सूचना देने के लिए लाउडस्पीकर्स भी थे. साथ ही रौशनी की खातीर कुंभ में 1000 स्ट्रीट लाइटें भी लगवाई गई थीं.

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